अनदेखी का दंश झेल रहीं धरोहरें

By: Jan 11th, 2017 12:05 am

नाहन —  जिला सिरमौर के ऐतिहासिक व रियासतकालीन शहर नाहन में अब पर्यटन की दृष्टि से दिन-प्रतिदिन फिसड्डी साबित हो रहा है। नाहन शहर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आलम यह है कि आज नाहन शहर में अन्य शहरों के मुकाबले पर्यटकों को देखने के लिए कुछ नहीं है, जिस कारण नाहन शहर में कभी कभार ही कोई भूला भटका पर्यटक ही नजर आता है। गौर हो कि नाहन शहर में अनेक ऐसी ऐतिहासिक इमारतें और हेरिटेज भवन हैं जो पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच सकते हैं, परंतु उचित रखरखाव के अभाव के चलते अधिकतर हेरिटेज भवन मौजूदा अपनी ऐतिहासिक महत्त्व को खोते जा रहे हैं। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि भारत में पहली 1875 में स्थापित नाहन फाउंडरी पूरी तरह से दम तोड़ चुकी हैं। 27 हजार मीटर रकबे वाली नाहन फाउंड्री की जमीन शहर के बीचोंबीच होने के कारण शहर की सुंदरता पर अब यह बदनुमा दाग साबित हो रही हैं, परंतु किसी भी सरकार ने नाहन फाउंड्री के मूल अस्तित्त्व को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिस कारण आज यह ऐतिहासिक धरोहर धराशाही होने के कगार पर पहुंच गई हैं। शहर के नया बाजार स्थित राज्य सहकारी बैंक का भवन, उपायुक्त कार्यालय, वन अरण्यपाल कार्यालय, एसडीएम आफिस, लाल कोठी, खंड विकास अधिकारी कार्यालय, शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, सुरेंद्रा क्लब, तंबूखाना, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अलावा और भी कई ऐतिहासिक मंदिर व मकबरे हैं, जिन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। इसके अलावा शहर में और भी कई ऐतिहासिक भवन है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। नाहन शहर में पर्यटकों की आवाजाही न होने के कारण स्थानीय व्यापारियों को भी आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। यशहर के गगन, नीरज, लक्की, स्वदेश, अरुण, शशीपाल व राजीव आदि व्यापारियों का कहना है कि यदि शहर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए तो उनके व्यापार को पंख लग सकते हैं। शहर के लोगों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि नाहन शहर को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए, ताकि शहर की आर्थिक स्थिति सुधर सके।


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