एनपीए का मर्ज
( रूप सिंह नेगी, सोलन )
आरबीआई की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च और सितंबर 2016 के बीच बैंकों का ग्रोस नॉन परफार्मिंग कर्ज अनुपात 7.8 फीसदी से बढ़कर 9.1 फीसदी हो गया है। अब सवाल उठना स्वाभाविक हो जाता है कि बैंकों को इस स्थिति तक पहुंचाने के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? बैंकों की स्थिति साल-दर-साल बिगड़ती जाना दुर्भाग्यपूर्ण भी है और चिंता का विषय भी। पिछले सालों में एनपीए का कुछ हिस्सा डुबत खातों में डालने के बावजूद एनपीए का बढ़ना बैंकों की सेहत के लिए ठीक नहीं माना जा सकता है। अतः स्थिति बेकाबू होने से पहले उपचार की अत्यधिक आवश्यकता है। सरकार को बैंकों की साख बनाए रखने के लिए प्रयाप्त पूंजी मुहैया करानी चाहिए। ये प्रयास इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि देश के विकास की राह बैंकों की दहलीज से हो कर गुजरती है।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App