कविताएं

By: Jan 30th, 2017 12:01 am

‘तुम्हारे यूं चले जाने से’

तुम्हारे यूं ही चले जाने से

न जाने कितनी बातें होंगी

न जाने कितने सपने टूटे होंगे

उन गरीब, असहाय लोगों के

जिनके लिए तुम एक बैंक अधिकारी ही नहीं थे,

बल्कि एक मसीहा थे।

तुम्हारे यूं ही चले जाने से

ये पत्ते-फूल फल व टहनियां

भी उदासी लिए चुपचाप

मौन खड़ी हुई व्याकुल हैं

क्योंकि तुम हर रोज अपने

स्नेह से सींचा करते थे इनको।

अभी कल ही हो तुम मिले थे

सड़क के उस चौराहे पर

तब तुमने कितनी वेदना व धैर्य

से कहा था कि वो सामने देखो

झोंपड़ी-झुग्गी वालों को

इनको इतना सशक्त बनाने की प्लानिंग

बनाई जा रही है, ताकि ये रोजगार पाकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

तुम्हारे अंदर इतनी मानवीयता

व दया का समुद्र था

कि तुमने अपने अतीत में जो

कुछ भोगा था उसकी परछाई

भी किसी पर पड़ने नहीं देना चाहते थे।

ऐे दोस्त तुम्हारे यूं चले जाने

से वो यादें जीवित हो उठी हैं

जो वर्षों पहले हमने साझा की थी।

देखो, तुम्हारे यूं चले जाने से

भाभी व बच्चे कितने गमगीन हैं?

और अम्मा की आंखें इंतजार करते थक गई हैं।

परंतु अब तुम कभी लौटकर नहीं आओगे

लेकिन दोस्त, दुनिया, कितनी भी बेजार हो जाए,

पर हम तुम्हें नहीं भूल पाएंगे।

-प्रदीप गुप्ता, मकान नंबर 193/1 सुशीला स्मृति निवास दियारा सेक्टर बिलासपुर ,हिमाचल प्रदेश

कोई दीया जब…

कहीं दूर घनघोर अंधेरों में डूबी

बस्तियों में जब कभी

किसी दहलीज पर कोई

दीया जलता है

तो लगता है रोशनी

अभी जिंदा है

उम्मीदों ने दम नहीं तोड़ा है

अंधेरों का साम्राज्य

अवश्य परास्त होगा

रेगिस्तान के किसी कोने में

जब कोई गुलाब खिलता है

तो लगता है

हरियाली इतनी दूर नहीं गई है

वसंत का विधान

धरती पर लागू है

हत्यारों के दल सभी

संभावनाओं पर अधिकार नहीं

कर पाए हैं

उदास, सूने, फीके से मौसम में

धार की चोटी पर

धूप के साथ सुर मिलाते

बांसुरी के सुरीले बोल

जब भी गूंजते हैं

तो लगता है

घने दुख अभाव, संघर्ष भी

जिंदगी के रंगों को

बदरंग नहीं कर पाए हैं

कोई दीया, कोई हवा

कोई गुलाब, कोई बांसुरी

कोई अच्छी सी कविता

जब मन को छू लेती है

तो लगता है अभी सब कुछ

खत्म नहीं है।

—हंसराज भारती


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App