काली परछाई की बर्फ

By: Jan 16th, 2017 12:02 am

बुरी बर्फ के नीचे रोमांच रोया और ऐसे सदमे की आगोश में धरती भी कांपी होगी। हिमाचल के दो युवा अपने मनोरंजन की दहलीज से बाहर निकल कर दफन हो गए, क्योंकि मौत का फरेब समझ नहीं पाए। वहां मौसम क्रूर था या प्रकृति छल रही थी, यह समझे बिना एनआईटी के दो होनहार छात्र अनहोनी का शिकार हुए और वहां शिकारी देवी की अरदास भी काम न आई। हमीरपुर के एनआईटी प्रांगण से निकले ये छात्र बर्फबारी को फतह करना चाहते थे, लेकिन कातिल राहों को लांघने की कीमत जान गंवा कर अदा की। सिसकियां बर्फ के नीचे कितनी आहत हुई होंगी और युवाओं की आजाद बहारों का दम किस कद्र घुट गया होगा, यह अकल्पनीय तकलीफ है। ठीक उसी बर्फ की तरह, जो सफेद होते हुए भी अपनी काली परछाई को ढांप नहीं पाई इस बार भी। मृतक अक्षय और नवनीत किसी भी घर के बच्चों की तरह जीवन में आनंद को खोजना चाहते थे, लेकिन अपने ही परिवेश की हिदायत नहीं समझ सके। यह पहली बार नहीं है कि इस तरह के हादसों में छात्रों ने जान गंवाई, लेकिन अफसोस यह कि हिमाचल बार-बार गमगीन गवाह बनकर रह जाता है। जाहिर तौर पर ऐस हादसों का पर्यटन के साथ जुड़ाव देखा गया और हर मौसम के बीच उभरते जोखिम जब कभी नजरअंदाज हुए, मौत का खंजर गहरे तक चला गया। कमोबेश हर तरह के पर्यटन की मौजूदगी में हिमाचल को अपना एक सुरक्षा कवच, हिदायतें व हेल्पलाइन का नेटवर्क बनाना होगा। घोषणाओं के बावजूद मौसम की मर्यादा में पर्यटन की रखवाली नहीं और हमेशा की तरह प्रशासन को ही सारी निशानदेही करनी पड़ती है। इस बार भी रेस्क्यू आपरेशन चला, मगर सिर्फ लाशें ही ढूंढ पाया। ऐसे में दुर्भाग्यपूर्ण घटना से जुड़े प्रश्नों पर एक साथ सरकार, प्रशासन, शिक्षण संस्थान, अभिभावक व युवा वर्ग को गौर करना होगा कि किस तरह दिशा-निर्देश बनें तथा उन पर अमल भी हो। किसी भी तरह की ट्रैकिंग को पंजीकरण की अनिवार्यता से जोड़ा जाए और यह भी सोचना होगा कि मनाली स्थित पर्वतारोहण संस्थान के दायित्व और कार्यक्षेत्र का विस्तार करते हुए पूरे प्रदेश का साहसिक गतिविधि मानचित्र सुनिश्चित किया जाए। शिकारी देवी जैसे अन्य दुर्गम क्षेत्रों की यात्राओं के मार्ग दर्शक के रूप में पंजीकरण चौकियां बनाने की आवश्यकता है और मौसम के हिसाब से आवश्यक हिदायतें उपलब्ध कराई जाएं। प्रदेश में पर्यटन हेल्पलाइन, पर्यटक  तथा ट्रैफिक पुलिस के नेटवर्क के साथ पर्यटक सुरक्षा का दायित्व रेखांकित करना होगा। पर्यटन हेल्पलाइन का ऐप विकसित करके हर श्रेणी के पर्यटक का मार्गदर्शन आवश्यक हो जाता है। इसके तहत पर्यटकों को यात्रा के दौरान मौसम, सड़क व पर्यटक स्थलों में उपलब्ध सुविधाओं के साथ वहां पहुंचने की आवश्यक जानकारियां देनी होंगी। यह ऐप चिकित्सकीय, एंबुलेंस सेवा के अलावा अगर मंदिरों व अन्य पर्यटक स्थलों पर भारी भीड़ की जानकारी के साथ नए डेस्टीनेशन का विकल्प बताए, तो पूरे उद्योग के संचालन में मदद मिलेगी। आश्चर्य यह भी कि शिक्षण संस्थान युवा गतिविधियों के संचालन को परिसर के भीतर भी किसी सूचना तक ही संबोधित कर रहे हैं, जबकि छात्र समुदाय को विभिन्न क्लबों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा सकता है। प्रदेश में शिक्षा हब बनने की करवटों के बीच आज तक यह चिंतन नहीं हुआ कि इस वर्ग की वैचारिक आंधियां, जोश और अपने व्यक्तित्व व अनुभव के आकाश खोलने की तमन्ना किस हद तक साहसिक हो सकती है। सोलन, हमीरपुर व शिमला जैसे शहरों के आसपास निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना से छात्र गतिविधियां बढ़ी हैं, लेकिन इन्हें समझने के बजाय केवल चंद घटनाओं के बाद ही प्रशासन जागता है। साहस के पथ पर खड़ा युवा कभी अपनी बाइक पर गलती करेगा या कभी रोमांच के पथ पर किसी उफनती नदी या बर्फबारी के साथ सेल्फी क्रेज में डूब जाएगा, लेकिन यह चुनौती प्रदेश की है कि हम इस कारवां की खोज प्रवृत्ति व साहस की सार्थकता बढ़ाते हुए, खतरे मोल लेने की खुली छूट न दें।


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