किसी अजूबे से कम नहीं कांगड़ा घाटी

By: Jan 29th, 2017 12:05 am

पर्यटक के लिए उसकी इच्छा अनुसार पर्यटन स्थल मौजूद हैं। धार्मिक पर्यटन के लिए इस घाटी में जहां कई मंदिर हैं, तो साहसिक पर्यटन के लिए ट्रैकिंग, हवाई रोमांचक खेलों से लेकर वाटर स्पोर्ट्स के अवसर भी। प्रकृति के बीच रहने वाले पर्यटकों के लिए कई पर्यटक स्थल…

हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी किसी अजूबे से कम नहीं है। यह एक ऐसी घाटी है, जहां हर तरह के पर्यटक के लिए उसकी इच्छा अनुसार पर्यटन स्थल मौजूद हैं। धार्मिक पर्यटन के लिए इस घाटी में जहां कई मंदिर हैं, तो साहसिक पर्यटन के लिए ट्रैकिंग, हवाई रोमांचक खेलों से लेकर वाटर स्पोर्ट्स के अवसर और प्रकृति के बीच रहने वाले पर्यटकों के लिए कई पर्यटक स्थल। धरोहर पर्यटन को देखने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों के लिए कई ऐतिहासिक किले व धरोहर स्थल भी यहां हैं। कांगड़ा घाटी को आज भी पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ने के वे अवसर नहीं मिल पाए हैं, जो मिलने चाहिए थे। आज भी इस घाटी के कई पर्यटन स्थल पर्यटकों की नजर से अछूते हैं, तो कुछ सुविधाओं की कमी के कारण पर्यटकों को अपने पास नहीं बुला पा रहे हैं। जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मकलोडगंज है। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा की मौजूदगी से यह स्थान विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसी स्थान पर निर्वासित तिब्बती सरकार का मुख्यालय भी है। इसके साथ ही मिनी इजरायल के नाम से विख्यात धर्मकोट,भागसूनाग व नड्डी भी बेहतरीन पर्यटन स्थल हैं। यहां से 10 किलोमीटर की पैदल दूरी पर त्रियूंड नामक स्थान है, जो ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां हर हजारों पर्यटक पहुंचते हैं।

धार्मिक पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र

जिला कांगड़ा में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावना है। यहां कई शक्तितपीठ व प्रसिद्ध मंदिर हैं। इनमें मां चामुंडा देवी, मां बज्रेश्वरी देवी, मां ज्वालाजी के मंदिर प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा बेहद पुरानी शैली में निर्मित बैजनाथ शिव मंदिर, नूरपुर में भगवान श्री कृष्ण व मीरा का मंदिर, आशापुरी मंदिर, महाकाल मंदिर व मां बगलामुखी का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र हैं। इसके अलावा भी यहां कई मंदिर मौजूद हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी यहां दलाईलामा टेंपल,नोरबुलिंगा, शेराबिलिंग, खंपागार जैसे प्रसिद्ध बौद्ध मठ स्थापित हैं।

धरोहर पर्यटन का भी खजाना है कांगड़ा

कांगड़ा में धरोहर पर्यटन की भी अपार संभावना है। कांगड़ा शहर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक किला, नूरपुर का किला, बैजनाथ शिव मंदिर व एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया मसरूर मंदिर, मकलोडगंज का चर्च धरोहर पर्यटन के मुख्य केंद्र हैं। साहिसक पर्यटक के लिए स्वर्ग है यहां स्थल, जल व हवा में रोमांच की तलाश किसी भी पर्यटक की यहीं पूरी होती है। कांगड़ा के बैजनाथ में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पैराग्लाइडिंग टेक ऑफ साइट मौजूद है। जहां सफलतापूर्वक पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप का आयोजन हो चुका है। यहां से पर्यटक हवावाजी के खेल पैराग्लाइडींग का खूब आनंद उठा सकते हैं। रोमांच का ट्रैकिंग के जरिए आनंद लेने वाले पर्यटकों के लिए इस घाटी में कई ट्रैकिंग रूट मौजूद हैं।


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