कुछ निदेशालय-बड़े कार्यालय शिफ्ट करने की तैयारी

By: Jan 21st, 2017 12:02 am

दूसरी राजधानी धर्मशाला की जल्द जारी होगी अधिसूचना, मार्च तक तैयार तक होगा भवन

 शिमला— मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा धर्मशाला को दूसरी राजधानी घोषित करने के बाद अब इसकी अधिसूचना जारी करने की तैयारी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने आला अधिकारियों को ये निर्देश भी दिए हैं कि वे बताएं कि कौन से निदेशालय व बड़े कार्यालय धर्मशाला स्थानांतरित किए जा सकते हैं। संभवतः मार्च तक यह कार्य पूरा हो सकता है। महज इसी कार्य में सरकार को करोड़ों का अतिरिक्त खर्च वहन करना होगा। शेष आधारभूत ढांचा जो राजधानी के लिए आवश्यक होता है, वह धर्मशाला में मौजूद रहने का दावा किया जा रहा है। बहरहाल, धर्मशाला में पहले ही कांग्रेस सरकारें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ही नेतृत्व में जहां तपोवन में विधानसभा स्थापित कर चुकी हैं। वहीं शिक्षा बोर्ड  के साथ मुख्यमंत्री का स्थायी सचिवालय और डीसी का मिनी सचिवालय स्थित है। मुख्यमंत्री के सचिवालय में वर्तमान में सभी मंत्रियों को बैठने की सुविधा है। अफसरों के लिए भी इसमें कमरे मौजूद हैं।  शिमला के ही मुकाबले की विधानसभा तपोवन में स्थित है, जहां हर वर्ष शीतकालीन सत्र आयोजित होते हैं। अब मौजूदा सर्किट हाउस के साथ एक बहुमंजिला इमारत तैयार की जा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री के साथ-साथ सरकार के सभी मंत्रियों को रहने की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। मार्च महीने तक यह इमारत बनकर तैयार हो जाएगी। लिहाजा उच्चाधिकारियों का दावा है कि राजधानी शिफ्टिंग के इस ऐलान से कोई अतिरिक्त बड़ा खर्च वहन नहीं करना पड़ेगा।

मिशन रिपीट की तैयारी में कांग्रेस

राजधानी धर्मशाला शिफ्ट करने के पीछे राजनीतिक मंशा भी बढ़ी है। इसमें कांग्रेस के मिशन रिपीट के सपने भी दिख रहे हैं। कांगड़ा, मंडी, लाहुल-स्पीति, कुल्लू, हमीरपुर, चंबा, ऊना जैसे जिलों के लोगों के लिए कांगड़ा सरल-सुलभ है। पुनर्गठन से पहले ये जिले कांगड़ा में ही शामिल थे। लिहाजा इन जिलों के लोगों की जन भावनाएं अभी भी कांगड़ा के प्रति मौजूद हैं। अब इन दावों में कितना सच है, ये तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे। इतना जरूर है कि कांग्रेस की तरफ से ऐसा ब्रह्म अस्त्र मुख्यमंत्री ने चला दिया है, जिस पर अब भाजपा हल्ला बोलने को तैयार दिख रही है।

अंग्रेजों की पहली पसंद थी स्मार्ट सिटी

तथ्यों को खंगालने से यह भी पता चलता है कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने शिमला से पहले धर्मशाला को 1885 में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की तैयारी की थी, मगर बाद में शिमला जैसे नैसर्गिक आभा से युक्त हिल स्टेशन के मोह के चलते उन्होंने इस फैसले को त्याग दिया।


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