कैल्शियम नाइट्रेट पर सरकार से मांगा उपदान

By: Jan 18th, 2017 12:05 am

खाद महंगी होने के कारण बागबान वांछित मात्रा से कम कर रहे इस्तेमाल

newsपतलीकूहल  – प्रदेश में सेब की अच्छी फसल के लिए रासायनिक उर्वरक बढि़या भूमिका निभाते हैं, जिसके लिए प्रदेश सरकार फास्फोरस व पोटाश उर्वरक पर बागबानों को लागत एवं परिवहन उपदान देती है। हालांकि कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट (कैन) पर इस तरह का उपदान दिया जाता रहा है, लेकिन इस खाद के बंद होने के कारण अब मार्केट में कैल्शियम नाइट्रेट खाद आ गई है, लेकिन इसकी कीमत इतनी अधिक है कि बागबान इसकी वांछित मात्रा से कम इसका प्रयोग कर रहे हैं।  इसके निर्धारित मात्रा से कम प्रयोग करने से बागबानों को सेब के पौधों से जो प्रतिफल मिलना चाहिए नहीं मिल रहा हैं। वैसे भी कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट सेब की गुणवत्ता व उत्पादन को बढ़ाने वाला मुख्य उर्वरक है, लेकिन केंद्र सरकार ने इस उर्वरक में अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल होने पर इसका प्रयोग बंद कर दिया है, क्योंकि अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग आंतकवादी संगठन बम धमाकों में करते रहे हैं, जिसके कारण गृह मंत्रालय की सिफारिश के बाद सरकार ने अमोनियम नाइट्रेट से बने उत्पादों पर वर्ष 2011 से रोक लगा दी है। इसी के मद्देनजर बागबानों को कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट की जगह कई कैमिकल्ज कंपनियों द्वारा बनाई गई कैल्शियम नाइट्रेट उर्वरक का प्रयोग क रना पड़ रहा है। बागबानी विभाग द्वारा कैल्शियम नाइट्रेट की अनुमोदित मात्रा 4 से 5 किलो प्रति पौधा है, लेकिन बागबान को इस हिसाब से यह खाद 218 से 270 रुपए प्रति पौधा पड़ रही है, क्योंकि बाजार में कैल्शियम नाइट्रेट की कीमत 1200 से 1500 प्रति बैग 25 किलो की है। पिछले पांच-छह वर्षों से बागबान कैल्शियम नाइट्रेट की मात्रा प्रति पौधा 500 ग्राम डालते आ रहे हैं, जिससे उन्हें इस उर्वरक से सेब की गुणवत्ता व उत्पादन क्षमता पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। महंगी तथा उपदान न मिलने के कारण बागबान इस खाद की मात्रा काफी कम डाल रहें हैं, जिसके कारण बागबानों सहित इसका खामियाजा भविष्य में उठाना पड़ सकता है। सेब को लेकर बागबान पहले ही बाहरी देशों से आयातित सेब की मार झेल रहा है और ऐसे में यदि वांछित उर्वरक का प्रयोग पौधों में कम किया जाएगा, तो सेब की गुणवत्ता व उत्पादन पर असर पड़ने के साथ बागबानों की आर्थिकी भी प्रभावित होगी। बागबान मोहर सिंह ठाकुर, प्रेम चंद पुजारी लोतराम, खेख राम नेगी, भीमी राम प्रेम चंद शाशनी, जीतराम, राजगीर महंत, भागदास आदि का कहना है कि कैल्शियम नाइट्रेट के अतिरिक्त अन्य खादों पर सरकार पूर्व की भांति उपदान दे रही है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि कैल्शियम नाइट्रेट पर भी कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट (कैन) खाद की तरह लागत एवं परिवहन उपदान दिया जाना चाहिए, ताकि बागबान इस उर्वरक की सही मात्रा डाल कर सेब की गुणवत्ता व उत्पादन बढ़ाने में सफल हो सकें। वर्ष 2006 व 2008 में मुंबई व दिल्ली जैसे शहरों में हुए धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट के प्रयोग से गृह मंत्रालय की सिफारिश पर सरकार ने वर्ष 2011 से इस मोलिक्युल से बनने वाले उत्पादों पर पांबदी लगा दी थी। कुल्लू फलोत्पादक मंडल ने भी इस विषय पर केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उपदान देने का आग्रह किया है।


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