गलानग पर नजर डालो सरकार धारों की धार का भी करो शृंगार

By: Jan 12th, 2017 12:05 am

सोलन  —  जिला के पर्यटन स्थल कई दशकों से उपेक्षा का शिकार रहे हैं। इन पर्यटक स्थलों को कुदरत ने तो बहुत कुछ दिया हैं, लेकिन सरकार का खजाना आज तक नहीं खुल पाया है। यदि पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाए तो क्षेत्र की तकदीर बदल सकती है। पर्यटन संबंधी गतिविधियां बढ़ने से न केवल सरकार को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। सोलन शहर से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित गलानग वैली स्विट्जरलैंड से कम नहीं है। ऊंची पहाड़ी पर समतल मैदान देश व विदेशों से आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है। शहर के साथ लगता यह क्षेत्र शिमला के समान ऊंचाई पर है,  इसलिए यहां पर बर्फबारी भी जमकर होती है। कई दिनों तक सर्दियों के दिनों में गलानग वैली बर्फबारी से ढकी रहती है। हैरानी की बात है कि कुदरत के इस हसीन तोहफे  पर आज तक सरकार की नजर ही नहीं पड़ी। गलानग वैली के लिए सड़क तो है, लेकिन इसकी हालत इतनी खस्ता है कि बरसात के दिनों में इस मार्ग से वाहन लेकर गुजरना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। पर्यटन संबंधी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए आज तक यहां पर कोई भी प्रयास नहीं हो पाए हैं। इसी प्रकार धारों की धार भी जिला के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां का ऐतिहासिक गोरखा किला खस्ता हालत में है। किले के अंदर की दीवारें ढह रही हैं। 500 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक धरोहर मिटने की कगार पर है। सड़क सुविधा न होने की वजह से भी यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं हो पाया है। इसके अलावा  करोल का टिब्बा भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। ऊंचाई अधिक होने की वजह से सर्दियों के दिनों में यह क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। करोल की ऊंचाई पर समतल मैदान हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। यहां पर ऐतिहासिक पांडव गुफा भी है, जिसके लिए दूरदराज के क्षेत्रों से पर्यटक यहां पर आते हैं। सड़क सुविधा न होने की वजह से यहां पर पर्यटक जाना पसंद नहीं करते हैं। राष्ट्रीय उच्च मार्ग से यह स्थान करीब तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। करोल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने के लिए कई वर्ष पहले रोप-वे की योजना बनाई गई थी, लेकिन शिलान्यास होने के अलावा कुछ नहीं हो पाया। यही हालात शहर के साथ लगती हैप्पी वैली का भी है। यहां पर भी सड़क सुविधा न होने की वजह से पर्यटन संबंधी गतिविधियां नहीं बढ़ पाई हैं। सोलन-सिरमौर की सीमा पर स्थित गौड़ा को मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है। पर्यटन संबंधी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए यहां पर कुछ वर्ष पहले निजी प्रयासों से   पैराग्लाइडिंग शुरू हुई थी, लेकिन कुछ माह के बाद यह भी बंद हो गई। अब गौड़ा में पर्यटकों को कोई भी सुविधा सरकार द्वारा नहीं दी जा रही है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्थान पर पर्यटक यदि रुकना भी चाहें तो सुविधाओं के अभाव की वजह से यहां नहीं रुक पाते हैं। इसी प्रकार साधुपुल, बाड़ी की धार, लुटरू महादेव गुफा, अश्वनी खड्ड भी सरकार की मेहरबानी का इंतजार कर रही है। जिला के इन पर्यटन स्थलों को यदि विकसित किया जाए तो इसका सबसे अधिक फायदा स्थानीय लोगों को होगा। उधर, उपायुक्त सोलन राकेश कंवर का कहना है कि धारों की धार किले के जीर्णोद्धार के लिए पर्यटन विभाग के माध्यम से प्रस्ताव भेजा गया है। इसी प्रकार अन्य पर्यटन स्थलों को भी विकसित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।


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