चूड़धार महादेव

By: Jan 21st, 2017 12:07 am

चूड़धार महादेवचूड़धार महादेवजिला सिरमौर व शिमला की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल चूड़धार अपने आप में स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी है। यहां पहुंचने पर श्रद्धालु अपने आपको जहां स्वर्ग लोक में महसूस करते हैं, वहीं चूड़धार में अमरनाथ यात्रा का भी अनुभव मिलता है। श्री शिरगुल महाराज के इस ऐतिहासिक मंदिर में वर्ष में छह माह बर्फ रहती है तथा छह माह यह मंदिर श्रद्धालुआें के लिए खुला रहता है। पुराने जमाने में जब पहाड़ी राज्यों के लोग दिल्ली जाते थे, तो वहां पर मुगल शासक व उनकी सेना के लोग पहाड़ी लोगों को लूट लेते थे। यह सुनकर शिरगुल महाराज दिल्ली गए थे तथा मुगलों को अपनी शक्ति का प्रदर्शन देकर ऐसा करने से चेताया। मुगल सेना ने शिरगुल महाराज को बंदी बनाया तथा चमड़े की बेडि़यों के बीच जकड़ दिया। बताया जाता है कि शिरगुल महाराज की सहायता हेतु बागड़देश से गुग्गा आए थे, परंतु उन्हें दिल्ली में यह मालूम नहीं हो रहा था कि शिरगुल महाराज को कहां बंदी बनाया गया है। ऐसे में मुगल शासन में भंगायण ने गुग्गा को शिरगुल महाराज के बंदी वाले स्थान के बारे में संकेत दिया, जिसके बाद गुग्गा ने शिरगुल महाराज को मूगलों की कैद से मुक्त करवाया। तब से यह भी मान्यता है कि शिरगुल महाराज एक पहाड़ी पर तथा माता भंगायण देवी को हरिपुरधार की पहाड़ी पर आमने-सामने बसाया गया। यही नहीं शिरगुल महाराज मानवीय संघर्ष के बाद देव स्थान तक पहुंचे। यह भी किंवदंति है कि पांडव भी अज्ञात वास के दौरान चूड़धार पहुंचे थे। शिरगुल महाराज के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह अपने भक्तों से जल्दी नाराज नहीं होते हैं।  चूड़धार पहुंचने के लिए जिला सिरमौर के नौहराधार, शिमला जिला के चौपाल उपमंडल के अंतर्गत आने वाले सराहन से श्रद्धालु पहुंच सकते हैं। सराहन से करीब पांच घंटे का पैदल मार्ग चूड़धार पहुंचने का है, जबकि नौहराधार से करीब आठ घंटे का पैदल मार्ग चूड़धार पहुंचने का है। करीब 11,969 फुट की ऊंचाई पर स्थित पौराणिक एवं ऐतिहासिक श्री शिरगुल महाराज के मंदिर में हिमाचल ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा, उत्तराखंड, चंडीगढ़ व देश के अन्य हिस्सों से श्रद्धालु अपनी आस्था के अनुरूप पहुंचते हैं।  चूड़धार को अमरनाथ की तर्ज पर विकसित करने की बात भी उठाई जा रही है, परंतु इस दिशा में फिलहाल कार्य गति नहीं पकड़ रहा है। यदि सरकार इस दिशा में कदम उठाती है तो चूड़धार में धार्मिक पर्यटकों की आमद में कई गुना इजाफा हो सकता है। चूड़धार में चूड़ेश्वर सेवा समिति पिछले कई सालों से श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए प्रयासरत है। यहां पर श्रद्धालुआें के ठहरने के लिए सराय व भंडारे की व्यवस्था तो की जाती है, परंतु कई बार श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होने की वजह से यह व्यवस्था कम पड़ जाती है। चूड़धार में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, परंतु अभी वहां पर सुविधाआें का अभाव है। यदि सरकार प्रयास करे तो श्री शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार को धार्मिक रमणिक स्थल के रूप में विकसित कर सैलानियों को यहां पर खींचा जा सकता है। चूड़धार की पहाडि़यों का सौंदर्य, रोहतांग पास, किन्नर कैलाश, मणिमहेश आदि स्थानों से भी बेहद आकर्षक है। चूड़धार की पहाडि़यों पर पहुंचते ही श्रद्धालु अपने आपको आसमान की गोद में बैठा महसूस करते हैं। चूड़धार पहुंचने पर सभी पहाड़ों का कद छोटा महसूस हो जाता है। गौर हो कि चूड़धार पहुंचने के लिए नौहराधार से करीब आठ किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना था, परंतु यह कार्य भी अभी अधर में है। इसके अलावा प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चूड़धार में हेलिपेड निर्माण भी बात कही थी तथा इस दिशा में उपायुक्त सिरमौर व एसडीएम चौपाल भी क्षेत्र का दौरा कर चुके थे, परंतु अभी इस दिशा में भी कदम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। राजस्व रिकार्ड में चूड़धार जिला सिरमौर का हिस्सा है।

– सूरत पुंडीर, नाहन

 


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