दरकिनार रैहन के दर्द हजार

By: Jan 22nd, 2017 12:05 am

नूरपुर – पिछले कई दशकों से सियासी दंश का शिकार कस्बा रैहन विकास की दृष्टि से विकसित नहीं हो पाया है और इस कस्बे को आज भी अपने किसी हितैषी का इंतजार है, जो इसे सियासी दंश के असर से उभार सके। ]पहले नूरपुर का हिस्सा रहे इस कस्बे की सियासी उपेक्षा की दस्तान पुरानी है, परंतु अब फतेहपुर हलके का हिस्सा बनकर भी उसे विकास की आहट का इंतजार है। लोगों का कहना है कि स्थानीय विधायक भी इस कस्बे का विकास करने में नाकाम रहे हैं, जिस कारण अब यहां लोगों में आक्रोश है। बीते चार वर्षों में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विकास की दृष्टि से यहां कोई बड़ा मील पत्थर स्थापित नहीं हुआ। यह कस्बा नूरपुर विधानसभा के तहत था, तो इसे पुनर्सीमांकन में फतेहपुर हलके में मिलाए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तभी से इस कस्बे व रैहन क्षेत्र की सियासी अनदेखी होना शुरू हुई थी और पुनर्सीमांकन के बाद यह कस्बा व रैहन क्षेत्र फतेहपुर हलके में आ चुका है तथा अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के चार वर्ष होने पर भी  इस कस्बे का विकास नहीं हो सका। इस कस्बे में वर्षों से निर्माणाधीन स्टेडियम अधूरा पड़ा है। रैहन में बना किसान भवन जर्जर हालत में है। रैहन को नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिला व रैहन बाजार को विकसित नहीं किया गया। साथ ही बाजार में मुख्य सड़क पर रोड डिवाइडर नहीं बनाए  गए और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टरों,  स्टाफ  व स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा नहीं किया गया, जबकि फतेहपुर को सिविल अस्पताल का दर्जा दिलाया गया। रैहन कस्बा के लिए पीने के पानी को अभी तक बड़ी पेयजल योजना नहीं बनी। कई गांवों को सिंचाई के नलकूपों का पानी ही पिलाया जा रहा है। रैहन बाजार के पानी की निकासी के लिए सड़क के दोनों ओर पक्की नालियां बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों में यहां के लोगों ने स्थानीय विधायक के पक्ष में गहरी दिलचस्पी दिखाई थी, परंतु स्थानीय विधायक ने इस कस्बे के विकास में दिलचस्पी नहीं दिखाई।


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