पावन पर्यटक स्थल है कुल्लू की डैहनासर झील

By: Jan 4th, 2017 12:05 am

कुल्लू के मध्य में पावन स्थल है डैहनासर, जिसका पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्त्व है। यह झील समुद्र तल से लगभग 15000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यूं तो इस पावन स्थल से भगवान शिव-पार्वती व डायन से जुड़े प्रसंग हैं…

डैहनासर झील

जिला कांगड़ा व कुल्लू के मध्य में पावन स्थल है डैहनासर, जिसका पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्त्व है। यह झील समुद्र तल से लगभग 15000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यंू तो इस पावन स्थल से भगवान शिव-पार्वती व डायन से जुड़े प्रसंग हैं। यहां तलहटी में रई, तोष, विचित्र भेाजपत्र के वृक्षों के समूह भी मिलते हैं, जिनसे कागज बनता है। यहां अति प्रभावी जड़ी-बूटियों के भंडार हैं, जिनसे असाध्य रोगों का इलाज संभव है। जिला मंडी के उपमंडल जोगिंद्रनगर से 40 किलोमीटर दूर पर्यटक स्थल ‘बरोट’ है। यहां से सात किलोमीटर दूर ‘लोहारड़ी’ नामक स्थान सड़क से जुड़ा है। यहां से पावन स्थल डैहनासर तक पैदल यात्रा से पहुंचा जा सकता है। प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर आनंद लेना हो तो ‘थलूटखोड़’ नामक स्थान से डैहनासर तक दो दिनों की पैदल यात्रा की जा सकती है। बताया जाता है कि भगवान शिव व पार्वती मणिमहेश को जब भी जाते थे, तो वे इस पावन स्थल पर रुकते थे। एक दिन उन्होंने इस स्थान पर प्रवास करने का मन मनाया। आधी रात बीतने के पश्चात एक डायन, जिसने यहां पर अपना अड्डा जमा रखा था, ने उन्हें इस स्थान को छोड़ने की चेतावनी दी। दुष्ट डायन उन्हें बार-बार तंग करने तथा युद्ध के लिए ललकारने लगी, तब भगवान शिव ने कु्रद्ध अपने त्रिशूल से उसका खात्मा कर डाला। तभी से यह पावन डैहनासर के नाम से विख्यात हुआ। कुंभ स्नान की भांति डैहनासर में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। यहां के लोगों की धारणा है कि ब्रह्म मुहूर्त में देवतागण स्नान करते हैं, जिनकी आवाजें सुनने को मिलती हैं, लेकिन वे अदृश्य होते हैं। देवतागण के स्नान के पश्चात ही अन्य श्रद्धालु स्नान करते हैं व पुण्य की प्राप्ति करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु पवित्र भावना से यहां स्नान करने आते हैं, वे जो भी मन्नतें मांगते हैं, उन्हें मन वांछित फल की अवश्य प्राप्ति होती है। ‘घूघू बाण’ नामक पौधा यहां पाया जाता है। जिस किसी भी श्रद्धालु को यह पौधा मिल जाए, वह अत्यंत भाग्यशाली होता है तथा यह पौधा अपने घर में रखने से सुख-शांति व समृद्धि और देवताओं का वास रहता है। नीले आकाश में अठखेलियां करते सफेद बादल बर्फीली ऊंची-नीची चोटियां यहां पर अद्भुत आकर्षण पैदा करती हैं। पर्यटक व श्रद्धालु यहां पर असीम मानसिक शांति व सुकून पाते हैं। ढेर सारी अलौकिक सुंदरता को अपने में समेटे हुए इस पावन स्थल पर सफेद चमचमाते बर्फ के ऊंचे शिखर चार चांद लगा देते हैं।


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