फुस्स हुआ गुब्बारा

By: Jan 16th, 2017 12:01 am

( डा. सत्येंद्र शर्र्मा, चिंबलहार,पालमपुर )

गाल बजाते थे बड़े, मिलकर अफलातून

अर्जी खारिज हो गई, फुस हुआ बैलून।

फुस हुआ बैलून, हवाई उड़ी हुई है

झुकता माथा, गर्दन नीचे गड़ी हुई है।

भूषण हुए अशांत अब, लो जी कर लो बात

गलत फैसला कर दिया, चीख रहे दिन-रात।

न्यायालय सर्वोच्च को काफी नहीं सबूत

मारे-मारे फिर रहे, उतर चुका अब भूत।

देख डायरी लग गया, डायरिया- अतिसार

न्यायालय में न्याय है, नहीं चला व्यापार।

सभी जगह सुख- शांति है, कहां मचा हड़कंप

उस खेमे में आ गया, अब सचमुच भूकंप।।

 


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