बर्फीले पहाड़… खतरे में जान
धर्मशाला — प्रदेश के बर्फीले पहाड़ों में मौत के खतरे के बावजूद पर्यटकों व टै्रकिंग के शौकीन लोगों को रोकने के हिमाचल की सरकार और प्रशासन ने किसी भी प्रकार की व्यवस्था करना जरूरी नहीं समझा है। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों, दूसरे राज्यों और विदेशी पर्यटक बर्फ को देखने के लिए पहाड़ों की तरफ रुख करते हैं। इतना ही नहीं, एडवेंचर के शौकीन भारी बर्फबारी होने के बावजूद ऊपरी क्षेत्रों के लिए निकल जाते हैं, लेकिन पर्यटकों को सूचित करने और खतरे की जानकारी देने के लिए प्रदेश में प्रशासन ने किसी तरह का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया है। पर्यटकों और लोगों द्वारा खराब मौसम होने के बावजूद पहाड़ी क्षेत्रों मे ट्रैकिंग पर जाने पर नहीं रोका जा रहा है। हाल ही में शिकारी देवी में अपनी जान गंवा चुके एनआईटी हमीरपुर के छात्रों पर भी भारी बर्फबारी में टै्रकिंग करने जुनून भारी पड़ गया। प्रदेश भर की सैकड़ों ट्रैकिंग साइटों पर अभी भी खतरे से अलर्ट करने के लिए साइन बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। विश्व प्रसिद्ध टै्रकिंग स्थल त्रियूंड में ही पर्यटकों को रोकने के लिए पुलिस की चौकी स्थापित की गई है। इसके अलावा प्रशासन ने प्रदेश के अन्य ट्रैकिंग स्थलों पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध भी नहीं लगाया गया है। प्रदेश के विभिन्न बर्फीले एरिया में फंसे कई पर्यटकों को स्थानीय लोग रेस्क्यू कर बचाते हैं, जो कि किसी भी आंकडे़ में शामिल तक नहीं हो पाते हैं। प्रदेश की अघोषित राजधानी धर्मशाला के साथ लगती धौलाधार की पहाडि़यों पर विश्व प्रसिद्ध ट्रैकिंग साइट त्रियूंड को जाने के लिए प्रशासन ने बैन कर दिया है। हाल ही में त्रियूंड टै्रकिंग साइट पर जाने के लिए पंजीकरण प्रकिया को शुरू करने के लिए चैकपोस्ट तैयार की गई है। त्रियूंड जाने के लिए सभी पर्यटकों को बर्फबारी के दौरान मनाही की गई है, जो कि पूरे प्रदेश के लिए एक आपदा प्रबंधन के लिए सही विकल्प बन रहा है।
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