भारत का इतिहास

By: Jan 11th, 2017 12:05 am

अंतरिम सरकार की अधूरी संरचना

यह प्रस्ताव कांग्रेस के लिए शिमला सम्मेलन के प्रस्तावों में भी गया बीता था अतः कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया। जब काफी पत्र व्यवहार के बावजूद अंतरिम सरकार की सरंचना के बारे में कोई हल न निकल सका, तो मंत्रि-मिशन के फिर हस्तक्षेप कया और 16 जून, के वक्तव्य द्वारा एक निर्णायक घोषणा की कि वायसराय अमुक 14 व्यक्तियों को अंतरित सरकार की सदस्यता स्वीकार करने का न्योता दे रहे हैं। वक्तव्य में यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि यदि कांग्रेस और मुस्लिम लीग या उनमें से किसी ने इस मिलीजुली सरकार में भाग न लेने का निश्चय किया तब भी अंतरिम सरकार बनाई जाएगी और प्रयास किया जाएगा कि वह यथासंभव प्रतिनिधित्व हो। इस वक्तव्य के अनुसार कांग्रेस को 6 स्थान (5 स्वर्ण हिंदू और एक अनुसूचित), मुस्लिम लीग को 5 तथ सिखों भारतीय ईसाइयों और पारसियों को एक-एक स्थान दिया गया था। कांग्रेस के नामों में वायसराय ने किसी राष्ट्रवादी मुसलमान को नहीं रखा था। कांग्रेस ने आग्रह किया कि अपने स्थानों में से एक स्थान वह राष्ट्रवादी मुसलमान को दे। वायसराय ने जिन्ना के विरोध के कारण इस मांग को अस्वीकार कर दिया। वायसराय ने लीग को यह आश्वासन भी दिया कि यदि मुख्य दलों में से किसी भी दल का बहुमत किसी प्रमुख सांप्रदायकि प्रश्न के विरुद्ध हो, तो अंतरिम सरकार उस पर कोई निर्णय नहीं कर सकेगी। मुस्लिम लीग ने मिशन की 16 मई की योजना स्वीकार कर ली और 16 जून के वक्तव्य के आधार पर अंतरिम सरकार में सम्मलित होने के लिए तैयार हो गई। 25 जून को कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें 16 मई की मिशन योजना की स्वीकृत दोहराई गई और भारत का भावी संविधान बनाने के लिए संविधान सभा में भाग लेने की सहमति जताई,किंतु अंतरिम सरकार संबंधी 16 जून के प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया गया क्योंकि वह अपने राष्ट्रीय स्वरूप का परित्याग नहीं कर सकती थी, न ही वह किसी कृत्तिम बराबरी को ही स्वीकार कर सकती थी और न ही किसी सांप्रदायिक वर्ग के निषेधाधिकार के लिए सहमत हो सकती थी। कांग्रेस द्वारा अंतरिम सरकार में भाग न लेने के निर्णय के बाद मुस्लिम लीग ने मांग की कि जो दल अंतरिम सरकार में भाग लेने के लिए तैयार हैं, उनके सहयोग से कांग्रेस के बिना ही उसका तुरंत निर्माण किया जाए। मिशन ने यह उचित नहीं समझा क्योंकि कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने 16 मई की योजना स्वीकार कर ली थी और निर्णय किया कि जब तक संविधान सभा के लिए निर्वाचन पूरे न हो जाएं, तब तक अंतरिम सरकार के संबंध में बातचीत न हो।


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