भारत का बढ़ता वर्चस्व

By: Jan 30th, 2017 12:05 am

(अर्पित ठाकुर, बिझड़ी, हमीरपुर)

गणतंत्र दिवस की परेड में दुनिया को अपनी बढ़ती ताकत का परिचय देने के पश्चात अमरीकी विदेश नीति से जुड़ी एक पत्रिका ने भारत के वैश्विक समुदाय में बढ़ते प्रभाव की तसदीक की है। ‘दि अमेरिकन इंटरेस्ट’ नाम की इस पत्रिका ने उल्लेख किया है कि अर्थव्यवस्था में भारत की एक अहम भूमिका रही है, जबकि एक विश्व शक्ति के तौर पर अब तक इसकी अनदेखी होती रही है। यह दीगर है कि एक बड़े जनसांख्यिकी लाभांश की स्थिति में आज समूचा विश्व भारत में मौजूद असीम संभावनाओं की ओर बड़े गौर से देख रहा है। भारत से विश्व की ये अपेक्षाएं निराधार भी नहीं मानी जा सकतीं। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न और करीब 65 फीसदी कार्यशील युवा आबादी के साथ भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने की क्षमता रखता है। नोटबंदी के तौर पर बड़े बदलाव व सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से बढ़ती चुनौतियों के बावजूद अगर भारत की विकास दर सात फीसदी से ऊपर रहने के अनुमान लगाए जा रहे हैं, तो इससे भारत की मजबूत होती स्थिति को सहज ही समझा जा सकता है। हालांकि मनमोहक होती राष्ट्रीय तस्वीर में कुछेक काले धब्बे ऐसे भी हैं, जो समूचे परिदृश्य की चमक को फीका कर रहे हैं। देश में भ्रष्टाचार, कदाचार, नक्सलवाद या जाति व मजहब के नाम पर जो दीवारें खड़ी कर दी गई हैं, वे राष्ट्रीय विकास की राह में रोडे़ अटका रही हैं। देश में व्याप्त इन तमाम कुरीतियों से निपटते हुए देश के हर नागरिक को ईमानदारी, मेहनत व समर्पित भाव से भारत को महाशक्ति बनाने में योगदान करना चाहिए। इसी में राष्ट्रीय व हर नागरिक के व्यक्तिगत हित भी निहित है।

 


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