महाभारत में भी मिलता है नागों का उल्लेख

By: Jan 11th, 2017 12:05 am

नागों का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। उस काल में उनके यमुना घाटी में रहने का वर्णन मिलता है। महाभारत से यह भी पता चलता है कि पांडु पुत्र अर्जुन ने हरिद्वार के नाग राजा वासुकी की ऊलोपी नामक नाग कन्या से गंधर्व विवाह किया था…

प्रागैतिहासिक हिमाचल

किन्नरों और किरातों के सहजातीय बंधु संभवतः नाग भी थे। यद्यपि किरात जाति के कोई भी अवशेष इस प्रदेश में नहीं मिलते फिर भी प्रागार्यकालीन नागों से संबंधित कई गढ़ यहां मिलते हैं। इस जाति के लोग हिमाचल की पहाडि़यांे तथा मैदानों में हर जगह बसते थे। वे नागों अर्थात सर्पों और विशेषकर मणिधारी सर्पों की पूजा करते थे और नाग उनका कुल चिन्ह था। ऐसा प्रतीत होता है कि नाग जाति सबसे पहले मैदानों और मैदानों से लगने वाली हिमाचल की घाटियों में बसती होगी और धीरे-धीरे हिमालय के ऊंचे भागों की ओर भी फैली होगी। आज प्रायः सभी गांवों में नहीे तो सभी परगनों मंे नागों की पूजा की जाती है। कई नाग मंदिरों में नाग को शासक के रूप में दिखाया गया है। इन मंदिरों में नाग देवताओं की प्रस्तर या धातु मूर्तियां भी देहधारी मानव सरीखी हैं, जो चारों ओर से सर्पाकृति के रेखाचित्रों में कुरेदी गई हैं। मंडी नगर में व्यास और सुकेती नदियों के संगम पर बने पंचवक्त्र नामक प्राचीन शिव मंदिर के मुख्य द्वार पर, जो व्यास नदी की ओर है, द्वारपालों के रूप में दो नागों को दिखाया गया है। नागों की ये मूर्तियां कोई दस-दस फुट ऊंची हैं। ऐसे ही अनेक उदाहरण देश भर में मिलते हैं। इस जाति के लोग प्रागार्य खशों से भी पहले यहां बसते थे। इतिहास इनकी संस्कृति पर मौन है। अनुमान केवल यही लगाया जा सकता है कि इस जाति का संगठन कौटुंबिक आधार पर हुआ था और प्रत्येक कुटुंब की पृथक बस्ती होती थी, जिसका मुखिया कोई वृद्ध पुरुष होता था। नाग जाति एक कोरी कल्पना है, यह भ्रम हड़प्पा सभ्यता के अवशेषों में पाई मुहरों से दूर हो गया है। मिट्टी की एक विशेष प्रकार की मुहर पर एक नाग देवता दिखाया गया है, जिसे घुटनों के बल झुककर कुछ व्यक्ति पूज रहे हैं। इसी प्रकार एक और मुहर में दो नागों के सिर बने हुए हैं, जो भारत की आदि जाति नाग के अस्तित्व को प्रमाणित करती है। इन नागों को आर्यों ने भारत में प्रवेश करने के पश्चात उत्तरी भारत तथा हिमालय की पर्वतीय घाटियों में पाया था और उन्हंे हिमाचल के दुर्गम भागों की ओर भगा दिया। नागों का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। उस काल में उनके यमुना घाटी में रहने का वर्णन मिलता है। महाभारत से यह भी पता चलता है कि पांडु पुत्र अर्जुन ने हरिद्वार के नाग राजा वासुकी की ऊलोपी नामक नाग कन्या से गंधर्व विवाह किया था। इसी वासुकी नाग की उपासना अब तक पश्चिमी हिमालय अर्थात चंबा, कुल्लू आदि में वासुकी नाग के नाम से की जाती है। महाभारत काल में ही आर्यों ने इंद्रप्रस्थ के निकट खांडव वन (आज का मेरठ) में नागों को उनके नाग-राजा तक्षक सहित हिमाचल की पहाडि़यों में शरण लेने के लिए बाध्य किया।


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