रोेडरेज की बढ़ती घटनाएं

By: Jan 20th, 2017 12:05 am

(डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर (ई-पेपर के मार्फत))

बीच चौराहों पर रोडरेज की घटनाएं न केवल चिंतनीय हैं, बल्कि आज के युवाओं की संवेदनहीन मानसिकता को दर्शाती हैं। जरा सी बात पर एक-दूसरे की जान तक ले लेना आम होता जा रहा है। आखिर यह सब हो क्या रहा है? क्या किसी की जान की कोई कीमत ही नहीं रह गई है। सवाल यह है कि आज का युवा छोटी सी बात पर ही इतना भड़क क्यों जाता है? गुस्से में उसे आगे-पीछे का भी ध्यान नहीं रहता और सामने वाले की जान लेने पर आमादा हो जाना सवाल उठाता है कि आज की युवा पीढ़ी आखिर जा कहां रही है। गाड़ी को साइड नहीं देने, मामूली से टच हो जाने, सड़क पर जाम लगे होने के कारण आगे वाले द्वारा गाड़ी को जल्दी नहीं निकालना, गाड़ी आगे कैसे चल रही है, हॉर्न कैसे बजा दिया, जल्दी जाने का तनाव और ऐसे छोटे-छोटे कारणों से आज के युवा पर गुस्सा इस कद्र हावी हो जाता है कि बात लड़ाई-झगडे, गाली-गलौज तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि गुस्से में टक्कर मारने, हाथापाई करने, जानलेवा हमला करने तक बढ़ने लगी है। दूसरे की जान तक ले लेना आम होता जा रहा है। आखिर यह सब हो क्या रहा है आज के युवाओं को? सड़क पर रोडरेज की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। हालात ये हो गए हैं कि देश में होने वाले कुल सड़क हादसों में 60 फीसदी मौतें रोडरेज के कारण होती हैं। यह कोई छोटा-मोटा आंकड़ा नहीं है और न ही यह केवल हमारे देश की समस्या है, पर जिस तरह से रोडरेज की घटनाएं बढ़ रही है, वह बेहद चिंतनीय है। हालांकि सरकार ने यातायात नियमों की पालना में सख्ती की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, पर जब तक इनकी सख्ती से पालना नहीं होती, तब तक यह सब बेमानी है। वैसे भी आज के युवाओं की सहनशीलता और संवेदनशीलता जगजाहिर है। ऐसे में रोडरेज की घटनाओं पर कारगर रोक लगाया जाना आज की आवश्यकता है।

 


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