शीतकालीन राजधानी के शिलालेख

By: Jan 20th, 2017 12:05 am

शिमला की बर्फबारी के बीच सरकार के कांगड़ा प्रवास पर होना अपने आप में किसी राजधानी के सबब से कम नहीं, फिर भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पत्ते खोलते हुए धर्मशाला में अपने मुकाम को नया नाम दिया। प्रतीकात्मकता का प्रभाव जीवन के हर पहलू से जुड़ा है और सियासी तौर पर ‘परसेप्शन’ किसी भी सत्ता की पायदान है। ऐसे में शीतकालीन प्रवास से शीतकालीन राजधानी तक के सफर को समझना होगा और इसके बीच कांग्रेस-भाजपा के बीच राजनीतिक फासलों को भी। मुख्यमंत्री ने भावनात्मक एकता को बुलंद करने के लिए पहले शिमला से कुछ कार्यालय कई जिला मुख्यालयों तक पहंुचाए और बाद में यह सफर शीतकालीन प्रवास का मुकाम बन गया। इस दौरान के चुनावों में भाजपा भी अपनी सरकारें बनाती रही, लेकिन शीतकालीन प्रवास की मंजिल से किनारा नहीं कर सकी, हालांकि क्षेत्रवाद के आरोपों की फेहरिस्त में प्रेम कुमार धूमल सरकार ने धर्मशाला में खड़ा किया गया हिमाचल भवन ध्वस्त किया और एक मिनी सचिवालय के निर्माण का झंडा बुलंद किया। बेशक हिमाचल में प्रतीकों की लड़ाई होती रही है और अपनी ‘परसेप्शन’ बनाते नेताओं ने राजनीतिक इतिहास बनाए। हम चंद सालों में शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और वीरभद्र सिंह के बीच अपनी-अपनी सियासत के ठौर देखते रहे। अव्यावहारिक कठोरता के दर्पण में शांता कुमार की छवि ने व्यक्तित्व को हालांकि मजबूत किया, लेकिन राजनीतिक कमजोरियां उनसे जुड़ गईं और इन्हीं से धूमल युग शुरू हुआ। सहज धूमल हमेशा शांता गुट को लेकर असहज रहे और इसे दीवार मानकर कांगड़ा के सियासी वर्चस्व से खेलने लगे। यही राजनीतिक जाम जहरीला होता गया और पिछले चुनाव का दुखद एहसास बना। भाजपा के दो चेहरों के बीच वीरभद्र सिंह ने अपने प्रभाव की मंजिलों को अगर कांगड़ा में स्थापित किया, तो पिछले चुनाव की परिभाषा इसी क्षेत्र विशेष से जुड़ गई और जो आज भी भाजपा के गले  की फांस बनी दिखाई देती है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का पदार्पण अगर असंभव नहीं दिखाई देता, तो शाहपुर में त्रिदेव का मंथन इसी क्षेत्र में भाजपाई भुजाओं का बल देखेगा। बहरहाल यह समझना होगा कि वीरभद्र सिंह के राजनीतिक इतिहास में कांगड़ा या समूचे निचले हिमाचल का रिश्ता किस तरह बनता रहा। जो जोखिम कांगड़ा को तोड़ने की सियासी संभावनाओं में देखा जाता रहा है, उसका नुकसान भाजपा की निवर्तमान सरकार को हुआ। ऐसे में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बनाम जीएस बाली के बीच पुनः कांगड़ा के समीकरण अपने किले चुन रहे हैं। एक बड़ा रिसाव शांता कुमार के सक्रिय इतिहास के बाद देखने को मिलता रहा है, तो क्या बाली इसे भरने की कोशिश कर रहे हैं या मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उनके मंसूबों को कुचलने के लिए कांगड़ा में शीतकालीन राजधानी के प्रतीक से पूरा करने जा रहे हैं। जो भी हो कांग्रेस की मौजूदा सरकार के पक्ष में जो माहौल बरकरार है, उसके हस्ताक्षर वीरभद्र सिंह ही हैं। यह शीतकालीन प्रवास के अब तक के सफर की कहानी है कि कांगड़ा का दुर्ग आज भी वीरभद्र सिंह की राजनीतिक बुलंदी है और एक कठिन अग्निपरीक्षा की तरह शाहपुर के त्रिदेव सम्मेलन के हर बैनर व पोस्टर से मुखातिब है। ऐसे में जबकि वीरभद्र सिंह कांगड़ा को शीतकालीन राजधानी के कवच में बैठा रहे हैं, तो जिला का नेता बनने के अरमानों को भी चपत लगेगी। यह दीगर है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के औचित्य पर सवाल उठते रहे हैं, तो शीतकालीन राजधानी की आबोहवा से कांग्रेस के भीतर भी बेचैनी रहेगी। शीतकालीन सत्र और प्रवास के लिए अब यह आवश्यक हो चला है कि सरकार अपने स्पर्श का स्थायी एहसास कराए, ताकि  वर्तमान तामझाम की प्रासंगिकता जमीन से जुड़े। इसके लिए सरकार को एक साथ बैठना पड़ेगा और विधानसभा सत्र का महत्त्व भी अपनी अवधि के विस्तार के साथ बढ़ेगा। अगर शीतकालीन राजधानी की अवधारणा पालिटिकल इवोल्यूशन के एक लंबे दौर का चरम बिंदु है, तो उन तमाम प्रतीकों पर गौर करना होगा, जिन्हें अब तक की तमाम वीरभद्र सरकारों के नेतृत्व ने यहां स्थापित किया। उपराजधानी या शीतकालीन राजधानी के लिए वीरभद्र सिंह ने तमाम ईंटें एक-एक कर जोड़ी हैं, तो इस मंजिल के स्वाभाविक लक्षण एक बड़े सियासी किरदार की भूमिका निभा रहे हैं। जाहिर तौर पर सरकार के अंतिम चरण और शीतकालीन प्रवास के पहर में शीतकालीन राजधानी के शिलालेख सियासत के मोटे अक्षरों से लिखे जा रहे हैं और ये दूर से पढ़े जाएंगे। जहां तक क्षेत्रीय अभिलाषा या संवेदना का प्रश्न है, तो वीरभद्र सिंह के पक्ष में यह एक दस्तावेज की तरह है, लेकिन प्रतीकों की इस महफिल में अभी तक हाई कोर्ट की खंडपीठ के चिन्ह प्रकट नहीं हुए। बहरहाल शीतकालीन प्रवास में शीतकालीन राजधानी की गूंज किसी भी मंच की घोषणा से कहीं अधिक सुनी जाएगी और विरोधी शोर दब जाएगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App