स्कीम वर्कर्ज को मिले रेगुलर का दर्जा
आंगनबाड़ी, मिड-डे मील वर्कर्ज ने प्रदर्शन कर उठाई मांग
शिमला — हिमाचल प्रदेश के आंगनबाड़ी व मिड-डे मील वर्कर्ज ने शुक्रवार को प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन व रैलियां निकालकर सरकार के प्रति रोष जताया। आंगनबाड़ी वर्कर्ज, हेल्पर्ज यूनियन एवं प्रदेश मिड-डे मील वर्कर्ज यूनियन ने मांग की है कि 2013 में राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में प्रधानमंत्री की घोषणा अनुसार देश में मौजूद लाखों स्कीम वर्कर्ज को रेगुलर वर्कर्ज का दर्जा दिया जाए व उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। आंगनबाड़ी यूनियन की अध्यक्ष खीमी भंडारी ने कहा कि प्रदेश के 38000 आंगनबाड़ी वर्कर्ज व 25000 मिड-डे मील वर्कर्ज आंदोलन पर रहे। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी वर्कर्ज व सहायिकाओं को हरियाणा की तर्ज पर 7500 व 4000 रुपए वेतन दिया जाए और रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष की जाए। दो वर्ष से लंबित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का पैसा दिया जाए, उन्हें पेंशन, प्रोविडेंट फंड व गे्रच्युटी की सुविधा दी जाए। मिड-डे मील वर्कर्ज को न्यूनतम वेतन 6000 रुपए दिया जाए, उन्हें प्रसूति अवकाश दिया जाए। 10 महीने के बजाय पूरे वर्ष का वेतन दिया जाए, उन्हें मेडिकल सुविधा व पेंशन सुविधा दी जाए। खीमी भंडारी ने कहा है कि उनके वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। दो वर्ष पूर्व में बजट में की गई बढ़ोतरी को आज तक लागू नहीं किया गया। मिड-डे मील यूनियन जिलाध्यक्ष हिमी देवी ने कहा कि है कि मिड-डे मील वर्कर्ज को केवल 1000 रुपए वेतन दिया जा रहा है। यह वेतन एक वर्ष में केवल 10 महीने के लिए दिया जाता है उन्हें प्रसूति अवकाश तक नहीं दिया जाता है। उन्हें मेडिकल सुविधा व छुट्टियां नहीं दी जाती हैं। शिमला में हुए प्रदर्शन में सीटू राज्य अध्यक्ष जगत राम, राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, बाबू राम, मीनाक्षी, बालक राम, किशोरी, लीला, पवन, रवि, रणजीत व राधा आदि मौजूद रहे।
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