हिमाचली फिल्म ‘सांझ’ को दो अवार्ड
बोरैगो स्प्रिंग्स फि ल्म फेस्टिवल में बेस्ट फीचर फि ल्म
मंडी— हिमाचली भाषा के साथ हिमाचली प्रतिभाओं से भरी पड़ी फीचर फिल्म ‘सांझ’ ने देश के सिनेमाघरों में रिलीज होने से पहले ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर ली है। ‘सांझ’ फिल्म को अमरीका में दो पुरस्कारों से नवाजा गया है। इस फिल्म को 16 जनवरी को अमरीका के कैलिफोर्निया में हुए बोरैगो स्प्रिंग्स फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फीचर फि ल्म से सम्मानित किया गया। इस फेस्टिवल में दुनिया भर से आई 750 फिल्मों से ‘सांझ’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया। यह सम्मान कैलिफोर्निया में फिल्म के सहनिर्माता अनिल चंदेल ने एक समारोह में प्राप्त किया है। इसी फिल्म को कैलिफोर्निया में ही अकोलेड ग्लोबल फिल्म कंपीटीशन में अवार्ड ऑफ मैरिट से भी सम्मानित किया जा चुका है। इतिहास में पहली बार यह करिश्मा हुआ है कि हिमाचली बोली में बनी फिल्म की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। विशेष बात यह है कि इस फिल्म के निर्देशक-निर्माता और मुख्य हीरो व हीरोइन सब हिमाचली हैं, वहीं आने वाली 26 जनवरी को ‘सांझ’ फिल्म अमरीका के लुसियाना स्टेट में सिनेमा ऑन दि बायू फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों को दिखाई जाएगी, जिसके बाद अपै्रल तक इस फिल्म को देश के सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा।
निर्माता अजय सकलानी
‘सांझ’ फिल्म के निर्माता और निर्देशक मंडी जिला के धर्मपुर के अजय सकलानी हैं। फिल्म हमीरपुर स्थित साइलेंट हिल्स स्टूडियो के बैनर तले बनाई गई है। फि ल्म की नायिका अथवा संजू का किरदार चंबा की अदिति निभा रही हैं तथा मुख्य नायक जोंगा का किरदार मंडी के विशाल परपग्गा ने किया है। फिल्म में संजू के पिता की भूमिका में बालीवुड के मशहूर अदाकार आसिफ बसरा हैं, तो मां का किरदार ‘आंखों देखी’ फि ल्म में चाची का किरदार निभा चुकी तरणजीत कौर और दादी के किरदार में मंडी से रूपेश्वरी शर्मा हैं। ‘सांझ’ फिल्म का संगीत निर्देशन धर्मशाला के रहने वाले गौरव गुलेरिया ने किया है, जबकि फिल्म में दो गाने मशहूर गायक मोहित चौहान ने गाए हैं।
कुछ ऐसी है कहानी
‘सांझ’ फिल्म दादी और पोती की कहानी पर आधारित है। दादी कुल्लू के दूर-दराज के गांव में अकेली रहती है, जबकि उसका बेटा-बहु और पोती चंडीगढ़ में रहते हैं। बेटा वहां एक बड़े अस्पताल में डाक्टर है। एक दिन उनकी खुशनुमा जिंदगी में एक घटना घटने के कारण वह बेटी को गांव में उसकी दादी के पास छोड़ जाते हैं। दादी काफी वक्त से अकेले रहने के कारण थोड़े चिड़चिड़े स्वभाव की हो गई है, जबकि पोती संजू, जो पहले कभी गांव में नहीं रही, वह अपने आप को अकेला महसूस करती है। दादी और संजू के बीच गांव का एक अनाथ लड़का है, जिसकी नादानियां और शैतानियां इन दोनों के रिश्तों को मजबूत करने का काम करती हैं। सारी कहानी रिश्तों के इसी जोड़ के आसपास घूमती है।
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