अपनी मिठास के लिए प्रसिद्ध हैं कांगड़ा के विवाह गीत

By: Feb 8th, 2017 12:15 am

कांगड़ा के विवाह संबंधी गीत जिन्हें ‘घोड़ी’ कहा जाता है, अपनी मिठास और विषय की गहनता के लिए अति लोकप्रिय हैं। विवाह संबंधी कई अन्य प्रकार के गीत भी हैं, जिन्हें ‘सोठणियां’ कहा जाता है…

हिमाचल में वीर रस से भरे लोक नृत्य परंतु प्रायः गाए जाने वाले लोकगीत, प्रेम गाथाओं, वीर-गाथाओं, देव-स्तुतियों, ऋतु-प्रभात और सामाजिक बंधनों, उत्सवों आदि से संबंधित है। हर्ष और वेदना दोनों की इनमें अनुभूति होती है। ये लोकगीत एकल, युगल या सामूहिक रूप में गाए जाने वाले हैं। इनके रचयिता कोई गायन विशेषज्ञ नहीं, बल्कि ये किसी सरस हृदय से निकली स्वच्छंद लयात्मक आवाज है, जो सभी नियमों को तोड़कर मन की तारों को झकझोरती हैं। किसी विशेष उत्सव, त्योहार या मेले में गाते समय स्थानीय वाद्य यंत्रों का गायन के साथ प्रयोग किया जा सकता है वरना खेत-खलिहान, घर-घराट, पहाड़ी, चरागाह, जंगल में जब मन चाहे, युवक-युवतियों के सुरीले कंठों की आवाज को आप छोड़ नहीं सकेंगे, जब तक कि गाने वाले स्वयं अपना काम पूरा करके चले नहीं जाते। ‘फुलमु-रांझा’, ‘कुंजु-चंचलो’, ‘राजा-गद्दन’, ‘भुनकु-गद्दी’, ‘सुनहरी गीत’, ‘लच्छी’ आदि चंबा के प्रसिद्ध लोग गीत है। ‘हरि सिंह राजेया’, ‘नूरपुरे दिए खतरेटिए’, पृथ्वी सिंह, इंद्रदेई, ‘सुलिया टंगोई गई मेरी जान’ आदि कांगड़ा के प्रसिद्ध लोकगीत हैं। इसके अतिरिक्त कांगड़ा के विवाह संबंधी गीत जिन्हें ‘घोड़ी’ कहा जाता है, अपनी मिठास और विषय की गहनता के लिए अति लोकप्रिय हैं। विवाह संबंधी कई अन्य प्रकार के गीत भी हैं, जिन्हें ‘सोठणियां’ कहा जाता है और जो बारातियों में से दूल्हे से समीपस्थ संबंधियों के नाम व्यंग्यात्मक रूप से गाए जाते हैं। मंडी की देवी की भेंटें, ‘निर्मंडा रीए ब्रह्मणिए’, ‘मनी रामा पटवारिया’, ‘न मन्या ओ हंसा’, ‘जिया लाल बिंदिए’, आदि प्रसिद्ध प्रेम लोकगीत हैं। बिलासपुर की ‘गंगी’ जो युवक-युवतियों के मध्य युगल-गीत के रूप में गाई जाती है और ‘गंभरी’, ‘बाला’ तथा ‘झंज्युटी’ आदि प्रसिद्ध लोकगीत हैं। ‘मोहणा’ बिलासपुर का अन्य प्रसिद्ध लोकगीत है, जिसका संबंध इतिहास और मातृ प्रेम से है। मोहन अपने भाई को  बचाने के लिए फांसी के तख्ते पर जब चढ़ने लगा तो उसकी बहन ने मोहन का गीत गाया जो ‘मोहण’ के गीत से प्रसिद्ध हो गया। लाहण, झूरी, नाटी और हार महासु (शिमला) और सिरमौर के प्रसिद्ध गीत हैं। सिरमौर का ‘हार’ बिलासपुर, कांगड़ा व मंडी का ‘झेड़ा’ एक सदृश हैं, जिनमें वीर राजाओं या वीर पुरुषों की गाथा का गायन किया जाता है। किन्नौर और लाहुल-स्पीति के अपने लोकगीत हैं, जिनका अधिकतर रूप समूहगान में ही देखने को मिलता है। प्रसिद्ध लोकगाथा गीत – हिमाचल प्रदेश में अधिकतर लोकगाथाएं पौराणिक हैं। इनका संबंध धर्म विषयक है।


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