अब पंजाब नहीं, हिमाचल है पांच नदियों का प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में असंख्य ही नदियां और नाले हैं, जिनमें सारा वर्ष अथाह जल राशि रहती है, परंतु इनमें पांच नदियां ऐसी हैं, जिनका सारे देश के भूगोल, संस्कृति और इतिहास से संबंध जुड़ा है। आधुनिक युग में पंजाब पांच नदियों का प्रदेश न होकर हिमाचल प्रदेश पांच नदियों का प्रदेश है…
हिमाचल की नदियां
भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है, जहां पर नदियों का महत्त्व बहुत है। नदी का महत्त्व वैसे भी मानव जीवन के सभी स्तरों पर है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से ये जीवन प्रदायिनी होती हैं, इसीलिए ये आराधना योग्य हैं। दिव्य तथा पार्थिव दोनों जल अलग नहीं हैं और इनकी उत्पत्ति एवं व्याप्ति एक-दूसरे से मानी गई है। भारत वर्ष में विभाजन से पहले पंजाब के नामकरण में जिन पांच नदियों का योगदान रहा है, उनमें सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब तथा झेलम के नाम शामिल हैं, जो वैदिक काल में क्रमशः शुतुद्री, विपाशु, परूष्णी असिक्नी तथा वितस्ता कहलाती थीं। व्यास का एक अन्य पुराना नाम आर्जीकिया व उरिष्ठजरा तथा रावी का इरावती भी है। चिनाब नदी चंबा में प्रविष्ट होने से पहले हिमाचल के लाहुल और पांगी क्षेत्रों में चंद्रभागा के नाम से जानी जाती है। इन पांचों के समूह को पंचनद कहा गया है। इन पांचों के साथ जब सरस्वती और सिंधु नदियां आ जुड़ीं तो इनका सामूहिक नाम ‘सप्तसिंधु’ कहलाया। सरस्वती जो अब लुप्त हो गई है, के बारे में यह भी कहना है कि यह प्रयाग के निकट गंगा, यमुना के साथ मिलती थी जो ‘त्रिवेणी’ कहलाता है। महाभारत में इन सब नदियों को देव नदियां कहा गया है। भारतवर्ष के विभाजन के उपरांत अविभाजित पंजाब में बहने वाली नदियों में ब्यास, चंद्रभागा अथवा चिनाब और रावी का प्रवाह अब हिमाचल प्रदेश में है। सतलुज मानसरोवर के ‘राकसताल’ से निकल कर मुख्यतः हिमाचल में ही प्रवाहित होती है। सरस्वती भी हिमाचल के सिरमौर जिला से निकलती थी। एक अन्य नदी यमुना भी अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद सिरमौर के कुछ क्षेत्रों में प्रवाहित होकर आगे चली जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों में बहने वाली नदियों का आकार मैदानी नदियों से अलग होता है। पर्वतों में ये पहाड़ों को काट कर बहती हैं और आगे जाकर इनका फैलाव बढ़ जाता है। हिमाचल प्रदेश में भी इन नदियों के साथ-साथ उपनदियां, सहायक नदियां और बारहमासा खड्डें बहती हैं, जो अंततः इन बड़ी नदियों में विलीन हो जाती हैं। बर्फ से ढकी पर्वत शृंखलाओं की विद्यमानता के कारण नदियों द्वारा हिमाचल प्रदेश को गंगा और सिंधु के मैदानों तक पानी उपलब्ध कराने का श्रेय प्राप्त है। हिमाचल प्रदेश में असंख्य ही नदियां और नाले हैं, जिनमें सारा वर्ष अथाह जल राशि रहती है, परंतु इनमें नदियां ऐसी हैं, जिनका सारे देश के भूगोल, संस्कृति और इतिहास से संबंध जुड़ा है। आधुनिक युग में पंजाब पांच नदियों का प्रदेश न होकर हिमाचल प्रदेश पांच नदियों का प्रदेश है।
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