असल मुद्दों से भटकाव

By: Feb 13th, 2017 12:01 am

( रूप सिंह नेगी, सोलन )

ऐसा लगता है कि उतर प्रदेश के चुनाव में जाति व मजहब का मुद्दा विकास के मुख्य मुद्दे को कहीं न कहीं पीछे छोड़ रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि नेताओं के बीच व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जनहित से जुड़े कई अहम मुद्दों को पीछे धकेलने का काम  कर रहा है। इससे ऐसा लगना स्वाभाविक है  कि कुछ  खास राजनीतिक  दल वोटों की ध्रुवीकरण कर चुनावी फायदा उठाने की फिराक में हैं। वे संभवतः भूल रहे हैं कि वहां की जनता जानती है कि कौन सा दल कितने पानी में है, कौन से मुद्दे उनके लिए फायदेमंद हैं और कौन से नहीं। धार्मिक व जातीय मुद्दे अति संवेदनशील होते हैं, अतः इन मुद्दों को चुनावी फायदे के लिए न भुनाए जाने में ही समझदारी होगी। न्यायालय के निर्देशों के बावजूद मजहब के आधार पर वोट समेटने और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला बदस्तूर जारी है। व्यक्तिगत कीचड़ उछालने के साथ विवादित बयानों से आदर्श चुनाव संहिता की मर्यादाओं का भी धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है। अतः नेताओं को सत्ता की खातिर पद की गरिमा व अपनी छवि को दांव पर लगाने से बचना चाहिए। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश के राजनीतिक दल धर्म व जाति के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण करने के चक्कर में देश की अनेकता में एकता की भावना को जोखिम में डाल रहे हैं।

 


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