आकाश से ऊंची उड़ान

By: Feb 19th, 2017 12:07 am

आसमान की ऊंचाई और विशालता पैमाने की तरह हैं। हम उसकी मिसाल देते हैं, लेकिन मानवीय इरादों की बुलंदियां समय-समय पर उसको चुनौती देती रही हैं। पिछले कुछ सालों में इसरो के इरादे इतने बड़े बन गए लगते हैं कि उनके सामने आसमान बौना साबित हो रहा है। इसरो एक नई भारत गाथा लिख रहा है, जो आसमान की तरह ऊंची और विशाल है …

श्आकाश से ऊंची उड़ानरीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 104 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण की कहानी पूरी दुनिया के सामने एक नए भारत की उजली तस्वीर बन गई। भविष्य के भारत की ऐसी तस्वीर पहले भी इसरो दुनिया के सामने रखता रहा है, लेकिन कुछ देश अहंकार अथवा कुंठा के कारण इस उभरती तस्वीर से मुंह फेर लेते थे। मंगलयान की सफलता के बाद पूरी दुनिया आश्चर्यचकित रह गई थी। इसरो अपने पहले ही अभियान में मंगल तक पहुंचा था। नासा ने यह सफलता 6 प्रयासों के बाद प्राप्त की थी। जापान और चीन तमाम प्रयासों के बावजूद सफल नहीं हो सके थे। इतनी बड़ी सफलता के बावजूद पश्चिमी देशों के कुछ समाचारपत्रों ने मंगल अभियान का मजाक उड़ाया था, लेकिन यथार्थ से कब तक मुंह फेरा जा सकता है? 104 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के बाद मजाक  उड़ाने लोगों की तरफ से भी प्रशंसा आई, भले ही वह अनमने मन से की गई हो। केवल चीन की तरफ से जरूर इस सफलता को साधारण और छोटा बताने की कोशिश की गई। इसरो के मुताबिक टेक ऑफ से लेकर रिलीज तक पूरा मिशन 30 मिनट में पूरा हुआ। इतनी छोटी सी अवधि में 104 उपग्रह कक्षा में स्थापित कर दिए गए। यह एक विश्व रिकार्ड था। इससे पहले एक बार में सबसे ज्यादा उपग्रह भेजने का रिकार्ड रूस के नाम था। जून 2014 में रूस ने एक साथ 37 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए थे। प्रक्षेपित किए गए उपग्रहों में सबसे भारी  उपग्रह का वजन 714 किलोग्राम था। इसके अतिरिक्त 103 छोटे उपग्रह थे। सबसे हल्के उपग्रह का वजन सिर्फ 1.1 किलोग्राम था। हैरत की बात यह है कि सर्वाधिक विकसित माने जाने देशों ने भी इसरो की सेवा का उपयोग किया। इस अभियान में सबसे ज्यादा 96 उपग्रह अमरीका के थे। इसके अतिरिक्त इजरायल, कजाखस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और यूएई के भी उपग्रह शामिल थे। भारत के केवल तीन उपग्रह शामिल थे। इस घटना ने इसरो की विश्वसनीयता को तो बढ़ाया ही है, भारत को 300 अरब डॉलर के अंतरिक्ष बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित कर दिया है। गौरतबल है कि अंतरिक्ष में व्यावसायिक  उपग्रह छोड़ने का कारोबार दिन-ब   दिन बढ़ता जा रहा है। फोन, इंटरनेट और अन्य कंपनियों की बढ़ती संख्या के चलते अंतरिक्ष में नए उपग्रह भेजे जा रहे हैं। अन्य देशों के मुकाबले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी काफी सस्ते में उपग्रहों को उनकी जगह पहुंचा रही है। व्यावसायिक दृष्टि से लाभप्रद होने के अतिरिक्त इस सफलता ने इसरो के शुक्र ग्रह तक पहुंचने की महात्त्वाकांक्षी परियोजना को भी नया बल मिला है। इसरो के अभियान वैज्ञानिक खोज और सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हुए हैं। भले ही अमरीका और रूस के कदम चांद पर पहुंच चुके थे, लेकिन वहां पर पानी होने की महत्त्वपूर्ण खोज इसरो के चंद्रयान ने ही की। सुरक्षा की दृष्टि से अर्थ इमेजिंग सेटेलाइट्स बहुत कारगर साबित होते हैं। आज भारत के पास अर्थ इमेजिंग के ऐसे सेटेलाइट्स हैं जिनकी मदद से एक मीटर से कम दूरी तक की चीजें देखी जा सकती हैं। अर्थ इमेजिंग के जो सेटेलाइट (कार्टोसेट सीरीज) अंतरिक्ष में भेजे गए हैं, उनकी नजरें बहुत सटीक साबित हो रही हैं। इस उपग्रह के कारण ही आज भारत की सुरक्षा एजेंसियां किसी भी महत्त्वपूर्ण देश के खास स्थानों पर हो रही हलचलों पर नजर बनाए रखती हैं। हाल में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के समय इस उपग्रह के इनपुट्स काफी सहयोगी साबित हुए थे। इसरो एक नई भारतगाथा लिख रहा है, जो आसमान की तरह ही ऊंची और विशाल है।

-डा.जयप्रकाश सिंह 


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