एल नीनो

By: Feb 15th, 2017 12:07 am

cereerएल-नीनो स्पेनिश भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है- शिशु यानी छोटा बालक। वैज्ञानिक अर्थ में, एल-नीनो प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र की उस समुद्री घटना का नाम है जो दक्षिण अमरीका के पश्चिमी तट पर स्थित इक्वाडोर और पेरु देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है। यह समुद्र में होने वाली उथल-पुथल है और इससे समुद्र के सतही जल का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है। अकसर इसकी शुरुआत दिसंबर में क्रिसमस के आसपास होती है। यह ईसा मसीह के जन्म का समय है और शायद इसी कारण इस घटना का नाम एल-नीनो पड़ गया, जो शिशु ईसा का प्रतीक है। जब समुद्र का सतही जल ज्यादा गर्म होने लगता है, तो वह सतह पर ही रहता है। इस घटना के तहत समुद्र के नीचे का पानी ऊपर आने के प्राकृतिक क्रम में रुकावट पैदा होती है। सामान्यतः समुद्र में गहराई से ऊपर आने वाला जल अपने साथ काफी मात्रा में मछलियों के लिए खाद्य पदार्थ लाता है। यह क्रिया एल-नीनो के कारण रुक जाती है। इससे मछलियां मरने लगती हैं और मछुआरों के लिए यह समय सबसे दुखदायी होता है। एक बार शुरू होने पर यह प्रक्रिया कई सप्ताह या महीनों चलती है। एल-नीनो अकसर दस साल में दो बार आती है और कभी-कभी तीन बार भी। एल-नीनो हवाओं के दिशा बदलने, कमजोर पड़ने तथा समुद्र के सतही जल के ताप में बढ़ोतरी की विशेष भूमिका निभाती है। एल-नीनो का एक प्रभाव यह होता है कि वर्षा के प्रमुख क्षेत्र बदल जाते हैं। परिणामस्वरूप विश्व के ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वर्षा और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्यादा वर्षा होने लगती है। एल नीनो का सटीक कारण, तीव्रता एवं अवधि की सही-सही जानकारी नहीं है। गर्म एल नीनो की अवस्था सामान्यतः लगभग 8-10 महीनों तक बनी रहती है। सामान्यतः, व्यापारिक हवाएं गर्म सतही जल को दक्षिण अमरीकी तट से दूर आस्ट्रेलिया एवं फिलिपींस की ओर धकेलते हुए प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे पश्चिम की ओर बहती है। पेरू के तट के पास जल ठंडा होता है एवं पोषक-तत्त्वों से समृद्ध होता है जो कि प्राथमिक उत्पादकों, विविध समुद्री पारिस्थिक तंत्रों एवं प्रमुख मछलियों को जीवन प्रदान करता है। एल नीनो के दौरान, व्यापारिक पवनें मध्य एवं पश्चिमी प्रशांत महासागर में शांत होती है। इससे गर्म जल को सतह पर जमा होने में मदद मिलती है जिसके कारण ठंडे जल के जमाव के कारण पैदा हुए पोषक तत्त्वों को नीचे खिसकना पड़ता है और प्लवक जीवों एवं अन्य जलीय जीवों जैसे मछलियों का नाश होता है तथा अनेक समुद्री पक्षियों को भोजन की कमी होती है। इसे एल नीनो प्रभाव कहा जाता है जोकि विश्वव्यापी मौसम पद्धतियों के विनाशकारी व्यवधानों के लिए जिम्मेदार है। अनेक विनाशों का कारण एल नीनो माना गया है, जैसे इंडोनेशिया में 1983 में पड़ा अकाल, सूखे के कारण आस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग, कैलिफोर्निया में भारी बारिश एवं पेरू के तट पर एंकोवी मत्स्य क्षेत्र का विनाश। माना जाता है कि 1982/83 के दौरान इसके कारण समूचे विश्व में 2000 व्यक्तियों की मौत हुई एवं 12 अरब डॉलर की हानि हुई।


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