करियर की फांस में हिमाचली बच्‍चे

By: Feb 12th, 2017 12:05 am

रुचि जाने बिना हिमाचली अपने बच्चों को जबरन डाक्टर-इंजीनियर बनाने पर उतारू हैं। आर्ट्स-कॉमर्स से बच्चों को दूर रखकर जहां हजारों पेरेंट्स उन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर रहे हैं, वहीं उनके सुनहरे करियर में भी रोड़ा बन रहे हैं। इसी गंभीर मसले पर हिमाचल को भेड़चाल से आगाह करता इस बार का दखल…

दसवीं कक्षा के बाद अकसर अभिभावक बच्चों को मेडिकल, नॉन मेडिकल में एडमिशन दिलाना चाहते हैं। तीसरे विकल्प के तौर पर बच्चों के सामने कॉमर्स का विकल्प दिया जाता है। आर्ट्स केवल उन्हीं बच्चों के अभिभावक पढ़ाना चाहते हैं, जिनके बच्चे या तो 55 फीसदी की शर्त पूरी नहीं कर पाते या जिनके अभिभावक मेडिकल की पढ़ाई का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं हैं। इसके अलावा हिंदी स्कूलों के छात्रों द्वारा मेडिकल या नॉन मेडिकल में आगे न बढ़ पाने की बड़ी वजह सरकारी स्कूलों में हिंदी मीडियम भी रहता है। कुछेक छात्र-छात्राओं के अलावा अधिकतर बच्चे गणित, विज्ञान और अंग्रेजी में कमजोर होते हैं। अन्य विषयों में अच्छे नंबर लेकर वह 55 फीसदी की शर्त पूरी कर लेते हैं, लेकिन अंग्रेजी में बेहतर पकड़ न होने के कारण वे मेडिकल या नॉन मेडिकल की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते, जबकि अभिभावक हमेशा बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बनाए रखते है।मेडिकल या नॉन मेडिकल पढ़ने के लिए अभिभावक द्वारा दबाव का बड़ा कारण चिकित्सा के क्षेत्र व अन्य सरकारी विभागों में नौकरी की उम्मीद है। निजी क्षेत्र में जो भी संस्थान हैं, उनमें वेतन कम है। इसके अलावा अन्य लाभ भी निजी संस्थानों द्वारा नहीं दिए जाते। मेडिकल, नॉन मेडिकल और कॉमर्स पढ़ने वालों के लिए सरकारी नौकरियों, साक्षात्कारों में प्राथमिकता की धारणा अभिभावकों में हमेशा बनी रहती है। ऐसा नहीं है कि आर्ट्स पढ़ने वालों केलिए यहां संभावनाएं कम हैं। प्रदेश में हिंदी का ज्यादा प्रचलन है। हाल ही में प्रशासनिक सेवाओं में अभ्यर्थियों कोहिंदी में साक्षात्कार का विकल्प भी दिया गया। इसके चलते इन सेवाओं में हिंदी मीडियम वाले छात्रों के लिए आकर्षण भी बढ़ा है।

और भी कई विकल्प

अध्यापक, लिपिक, पर्यटन, होटल प्रबंधन, लॉ, पत्रकारिता, ब्यूटीशियन समेत कई अन्य विकल्प हैं, जिनमें छात्र अपने भविष्य को बेहतर दिशा दे सकते हैं। इनमें वेतन के तौर पर 10 से 80 हजार तक की आय अभ्यर्थी को उसकी क्षमता के आधार पर मिल सकती है।

दबाव न डालें, बच्चों को खुद चुनने दें फील्ड

भारती विद्यापीठ पब्लिक सीनियरी सेकेंडरी स्कूल बैजनाथ की दसवीं की छात्रा मुस्कान सहगल ने मार्च 2016 की परीक्षा में मैरिट में चौथा स्थान प्राप्त किया। मुस्कान सहगल के पिता चेतन सहगल ने बताया कि उनकी बेटी, जिस भी कार्य क्षेत्र में अपनी इच्छा से आगे बढ़ना चाहती थी, उसके लिए पूरा तरह से सहयोग किया है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने मैट्रिक में टॉप करने के बाद जमा एक में मेडिकल विषय को चुना है। उन्होंने बताया कि मुस्कान डाक्टर बनना चाहती है, जिसके चलते उन्होंने उसी विषय को चुनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि बच्चों की दिलचस्पी के अनुसार ही बच्चों को आगे बढ़ने का मौका प्रदान करना चाहिए, इसके चलते ही उन्होंने विषय को चुनने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया। चेतन सहगल ने बताया कि बच्चे के सूझबूझ के साथ उठाए गए कदम में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। भविष्य के बारे में निर्णय लेते समय हालांकि परेशानी थी, लेकिन मुस्कान का लक्ष्य पहले से ही निर्धारित होने से कोई अधिक मुश्किल नहीं हुई। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी अपनी पसंद के विषय में अध्ययन कर रही हैं, ऐसे में भविष्य का उज्ज्वल होना स्वभाविक ही है।

मेडिकल छोड़ आर्ट्स को अपनाया

डीएवी सुंदरनगर स्कूल से मेडिकल की छात्रा रही अनुभा गुप्ता पुत्री सुतेंद्र गुप्ता नार्थ जोन में सीबीएससी से मेडिकल की टॉपर रही। बाबजूद इसके मेडिकल व इंजनिरिंग फील्ड में जाने की बजाय आर्ट्स स्ट्रीम में हाल ही में स्नातक की टॉप ग्रेड में उपाधि ग्रहण की।  आईएएस की परीक्षा में पांच अंकों से चूक गई, लेकिन आर्ट्स विषय आसान होने के चलते इस स्ट्रीम को चुना। माता उर्मिल गुप्ता का कहना है की मेडिकल साइंस का ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही जमा दो तक शिक्षा ग्रहण की, जिसके आगे आर्ट्स विषय में पढ़ाई करने में सहजता प्राप्त की।

निजी स्कूल दे रहे टक्कर

प्रदेश में निजी स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है। सरकारी स्कूलों को निजी स्कूल लगातार टक्कर दे रहे हैं। यूएसआईडी रिपोर्ट 2015-16 के मुताबिक प्रदेश में 2652 निजी स्कूल हैं, जो सरकार की ग्रांट इन एड के बिना चल रहे हैं। इनमें केवल प्राथमिक स्तर के 610, प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्तर के 793, प्राइमरी, अपर प्राइमरी, सेकेंडरी व हायर सेकेंडरी 541 व केवल अपर प्राइमरी स्तर के एक, अपर प्राइमरी, सेकेंडरी व हायर सेकेंडरी स्तर के 11, प्राइमरी, अपर प्राइमरी व सेकेंडरी स्तर के 677, अपर प्राइमरी व सेकेंडरी स्तर के चार, केवल सेकेंडरी स्तर के दो, केवल हायर सेकेंडरी स्तर के चार व अन्य श्रेणी के नौ स्कूल हैं। निजी स्कूल में जो भी हायर सेकेंडरी स्तर के स्कूल हैं, उनमें 90 फीसदी में आर्ट्स, कॉमर्स, मेडिकल व नॉन मेडिकल स्ट्रीम उपलब्ध है।

15 हजार से ज्यादा स्कूल

शिक्षा विभाग के अधीन 15327 स्कूल हैं। इनमें केवल प्राइमरी स्तर के 10710, केवल अपर प्राइमरी स्तर 2130, अपर प्राइमरी, सेकेंडरी व हायर सेकेंडरी के 1608, अपर प्राइमरी व सेकेंडरी स्तर के 879 स्कूल हैं।

973 स्कूलों में वोकेशनल कोर्स

प्रदेश में पहले केवल 500 स्कूलों में वोकेशनल कोर्स पढ़ाए जा रहे थे, लेकिन अगस्त 2016 से प्रदेश के 473 और नए स्कूलों में वोकेशनल एजुकेशन शुरू की गई। अब कुल 973 स्कूलों में वोकेशनल विषय पढ़ाए जा रहे हैं। हर कोर्स में 20 से 25 छात्रों की संख्या निर्धारित है। हालांकि कुछ कालेजों में भी वोकेशनल कोर्स शुरू किए गए थे, लेकिन उनमें छात्रों ने रुचि नहीं दिखाई। स्कूलों में नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के तहत राज्य के वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में नौवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को ये कोर्स करवाए जा रहे हैं। इसमें छात्रों को एग्रीकल्चर, टूरिज्म, रिटेल, सिक्योरिटी, हैल्थ केयर, टेलीकाम, आईटीईएस. के साथ इस बार मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और बीएफएसआई टे्रड शामिल हैं। टे्रड के तहत प्रशिक्षण देने के लिए कंपनी के माध्यम से इन ट्रेनर की नियुक्ति की जाती है। प्रदेश में 19 कंपनियों के माध्यम से 710 ट्रेनरों को कुछ समय पहले तैनाती दी गई, जबकि 1200 ट्रेनर पहले से कार्यरत हैं।

शिक्षकों की भी कमी

हिमाचल प्रदेश में सुमन रावत, समरेश जंग, दीपक ठाकुर, सीता गोसाईं, पद्मश्री प्राप्त विजय सरीखे खिलाड़ी सरकारी स्कूलों की ही पैदावार हैं। प्रदेश के अनेकों प्राथमिक विद्यालयों में एक या दो अध्यापक ही नियुक्त हैं, जो कि वर्ष भर शैक्षिक एवं अन्य गैर शैक्षिक कायक्रमों में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में वे पाठ्यक्रम के अलावा खेल गतिविधियों की ओर ध्यान नहीं दे पाते। प्रदेश में कई माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में भी शारीरिक शिक्षकों के पद खाली हैं, जिस कारण बच्चे प्राथमिक विद्यालय स्तर की भांति ही माध्यमिक स्तर पर भी शारीरिक शिक्षा से वंचित हैं।

802 स्कूल, सभी में पढ़ाया जा रहा आर्ट्स

प्रदेश के 802 स्कूलों में केवल आर्ट्स, 144 में आर्ट्स व साइंस, 190 स्कूलों में आर्ट्स व कॉमर्स तथा 578 स्कूलों में तीनों स्ट्रीम आर्ट्स, कॉमर्स व साइंस स्ट्रीम उपलब्ध हैं। इस तरह आर्ट्स सभी स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है, जबकि साइंस 722 और कॉमर्स 768 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में उपलब्ध है।

किस स्ट्रीम में, कितने छात्र

सर्व शिक्षा अभियान के तहत विभिन्न स्कूलों में कुल 226597 छात्र-छात्राएं हैं। इनमें शिक्षा विभाग के अधीन आने वाले स्कूलों में182815 छात्र-छात्राएं हैं। इनमें 93681 छात्र और 89134  छात्राएं हैं। साइंस में 20952 व कॉमर्स में 13939 छात्र हैं। इसी तरह 12वीं में आर्ट्स में 55277, साइंस में 20274 और कॉमर्स में 13263 छात्र-छात्राएं हैं।

बिना वाद्य यंत्रों के बिगड़े सुर

हिमाचल के स्कूलों में म्यूजिक की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए खास प्रयास होते नहीं दिख रहे। अभी 11वीं और 12वीं में संगीत विषय पढ़ाने का प्रावधान है, लेकिन कई स्कूलों में हालात ये हैं कि म्यूजिक के अध्यापक ही नहीं हैं, तो कई सरकारी स्कूलों में म्यूजिक सिखाने को विभिन्न वाद्य यंत्रों का अभाव है। कई स्कूलों के बच्चे केवल थ्योरी पढ़कर ही गुजारा कर रहे हैं। वाद्य यंत्रों के अभाव में म्यूजिक विषय के प्रैक्टिकल करने से बच्चे महरूम रह जाते हैं। प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में हर साल संगीत से संबंधित प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। ऐसे में जज की भूमिका दूसरे विषय के शिक्षक निभाते हैं, जिन्हें म्यूजिक का बिलकुल भी ज्ञान नहीं होता। प्रदेश के निजी स्कूलों के हजारों छात्र-छात्राएं भी म्यूजिक का अध्ययन करने से महरूम हैं।

खेल के लिए सुविधाएं कम

फुटबाल को लेकर भी शिक्षा विभाग की ओर से विशेष निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी खिलाडि़यों को काफी खलती है। बैडमिंटन, बॉक्सिंग, टेनिस, मार्शल आर्ट जैसे इनडोर खेलों के लिए स्कूलों में अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। आउटडोर खेलों के लिए मैदानों की आवयश्यकता होती है और प्रदेश में इस मामले में सेकेंडरी स्कूलों की स्थिति बेहतर कही जा सकती है।

कहां, कितने खेल के मैदान

बिलासपुर 96

चंबा       117

हमीरपुर    93

कांगड़ा    290

किन्नौर    31

कुल्लू      75

लाहुल-स्पीति         16

मंडी        255

शिमला    231

सिरमौर    124

सोलन     88

ऊना       116

कंसल्टेंसी की व्यवस्था नहीं

दसवीं के बाद छात्रों को करियर कंसल्टेंसी की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर निजी संस्थाओं के माध्यम से कोचिंग की व्यवस्था छात्रों के लिए की जाती है। आरक्षित वर्ग के छात्रों को इनमें प्राथमिकता दी जाती है। शारीरिक शिक्षा को स्कूलों में अनिवार्य विषय के रूप में न शामिल कर ऐच्छिक विषय के रूप में स्कूली पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।

प्रदेश में 11वीं कक्षा के आंकड़े

                       आर्ट्स                                 साइंस                 कॉमर्स              

जिला      लड़के     लड़कियां  कुल       लड़के     लड़कियां  कुल       लड़के     लड़कियां  कुल

बिलासपुर 1418      1529      2947      649        696        1345      602        307        909

चंबा       3235      3035      6270      611        462        1073      301        170        471

हमीरपुर    1336      1377      2713      1235      1055      2290      834        539        1373

कांगड़ा    5985      6063      12048     2984      2265      5249      2180      1479      3659

किन्नौर    232        271        503        57         76         133        53         48         101

कुल्लू      2282      2344      4626      450        425        875        370        284        654

लाहुल-स्पीति67      93         160        34         49         83         10         11         21

मंडी        4278      4419      8697      1933      1828      3761      954        699        1653

शिमला    3331      3537      6868      1029      899        1928      924        749        1673

सिरमौर    2564      2928      5492      541        445        986        345        251        596

सोलन     2340      2228      4568      716        620        1336      812        686        1498

ऊना       2114      1895      4009      976        917        1893      828        503        1331

कुल       29182     29719     58901     11215     9737      20952     8213      5726      13939

12 वीं कक्षा के विधार्थियों की संख्या

                     आर्ट्स                                                       साइंस                       कॉमर्स            

जिला      लड़के     लड़कियां  कुल       लड़के     लड़कियां  कुल       लड़के     लड़कियां  कुल

बिलासपुर 1263      1556      2819      675        699        1374      639        310        949

चंबा       2928      2819      5747      667        458        1125      256        130        386

हमीरपुर    1193      1430      2623      1114      1024      2138      819        569        1388

कांगड़ा    5503      6273      11776     3236      2242      5478      2222      1571      3793

किन्नौर    230        251        481        57         57         114        50         36         86

कुल्लू      1745      1808      3553      379        359        738        264        192        456

लाहुल स्पीति77       78         155        22         38         60         12         11         23

मंडी        4306      4921      9227      1953      1660      3613      1006      643        1649

शिमला    3207      3549      6756      968        844        1812      738        676        1414

सिरमौर    2058      2484      4542      523        400        923        329        238        567

सोलन     1609      2107      3716      709        538        1247      688        592        1280

ऊना       1876      2006      3882      852        800        1652      816        456        1272

कुल       25995     29282     55277     11155     9119      20274     7839      5424      13263


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