कृषि हेल्पलाइन

By: Feb 7th, 2017 12:05 am

गोभीनुमा सब्जियों पर छिड़कें क्वीनलफोस 25 ईसी

प्रदेश के कई भागों में सितंबर-अक्तूबर से गोभीनुमा सब्जियों की रोपाई की जाती है तथा फरवरी-मार्च में इनकी सब्जियों को मार्केट में भेजकर किसान अच्छी आमदन लेते रहते हैं। इन सब्जियों में नवंबर-दिसंबर तथा जनवरी में अधिक ठंड इोने के कारण नाशीकीटों व बीमारियों का प्रकोप अपेक्षतया कम होता है, लेकिन जनवरी-फरवरी में तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने लगती है। इसी के साथ-साथ नाशीकीटों का आगमन में शुरू हो जाता है। गोभीनुमा सब्जियों में जनवरी के अंतिम सप्ताह में मुख्य रूप से गोभी के तेले का आक्रमण फिर से शुरू होने लगता है। इसके अतिरिक्त कहीं-कहीं गोभी की सुंडी जिसे कि अर्र्द्ध कुंडलिक सुंडी कहा जाता है। देखी जा सकती है, लेकिन यह सुंडी फरवरी  के दूसरे सप्ताह के बाद जब तापमान में और अधिक बढ़ोतरी होने लगती है, तभी देखी जाती है।

गोभी का तेला : यह गोभीनुमा सब्जियों का मुख्य नाशीकीट है। यह नाशीकीट गोभीनुमा सब्जियों के रोपित होने का एक महीने के बाद उनमें आना शुरू कर देता है, लेकिन नवंबर-दिसंबर में तापमान कम होने के कारण इसकी संख्या अधिक नहीं बढ़ती। जनवरी के बाद जब तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होनी शुरू होने लगती है, तो यह कीट जो अधिक ठंड के कारण अपनी संख्या में बढ़ोतरी नहीं कर पाता, अब तापमान बढ़ने के कारण अपनी संख्या में बढ़ोतरी  करना शुरू कर देता है।

नुकसान : इस नाशीकीट का नुकसार सुईनुमा चोंच या सुईनुमा मुख को पत्तों के अंदर डाल कर शुरू होता है। इस सुईनुमा मुख से यह पौधे के प्रत्येक भाग से रस चूसता रहता है, जिससेपत्तों में पीलापन,पत्ते अंदर की ओर और मुड़ने लगते हैं। समय पर इस नाशीकीट की रोकथाम न करने पर व अधिक संख्या बढ़ने पर पौधा मुरझाने लगता है तथा पैदावार काफी कम हो जाती है।

जीवन चक्र : इस कीट की पंखवाली मादा गोभीनुमा सब्जियों में अक्तूबर-नवंबर में आनी शुरू हो जाती है, लेकिन जनवरी-फरवरी में इनका आवागमन अधिक होने लगता है। यह पंखवाली मादाएं अपनी ही तरह के शिशु देने लगती हैं। यह शिशु भी मादा तेले की तरह पत्तों से रस चूसने लगते हैं। यह शिशु शुरू में संख्या में कम होते हैं, लेकिन मादा तेला और अधिक शिशु देने लगती हैं। अतः तापमान बढ़ोतरी के परिणाम स्वरूप शिशुओं के परिणामस्वरूप शिशुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो जाती है। ये शिशु चार अवस्थाएं पार करके पूर्णतयाः प्रौढ़ में परिवर्तित हो जाते हैं। यह मादाएं फिर से पौधे के विभिन्न भागों से रस चूसकर फिर से नुकसान करने लगती हैं।

नियंत्रण : क्योंकि शुरू में इस कीट की संख्या कम होती है, अतः किसी भी कीटनाशक का इस अवस्था में छिड़काव नहीं करना चाहिए, लेकिन संख्या में बढ़ोतरी होने पर क्वीनलफोस 25 ईसी नामक कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है। इसकी छिड़काव मात्रा 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की है। इसके अतिरिक्त सिरफिड नामक परजीवी और कौक्सीनैलिड परजीवी भी इस कीट की संख्या को कम करते हैं।

केसी शर्मा, डा.आरएस राणा, डा. अनिल सूद

सौजन्यः डा. राकेश गुप्ता, छात्र कल्याण अधिकारी, डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन


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