नालंदा को जीवंत करेंगे विजय भटकर

By: Feb 8th, 2017 12:20 am

cereerडा. विजय भटकर भारत के वैज्ञानिक और आईटी के विशेषज्ञ हैं। उनकी सबसे बड़ी पहचान देश के पहले सुपर कम्प्यूटर परम के निर्माता और देश में सुपर कम्प्यूटर की शुरुआत से जुड़े सी-डैक के संस्थापन कार्यकारी निदेशक के तौर पर है। विजय भटकर को भारत के आईटी लीडर के नाम से भी जाना जाता है। डा. विजय भटकर का जन्म 11 अक्तूबर, 1946 को महाराष्ट्र के अकोला जिला में हुआ। इन्होंने आईआईटी दिल्ली से अपनी शिक्षा ग्रहण की। आईआईटी, दिल्ली की स्थापना वर्ष 1961 ई. में हुई। भारत में सुपर कम्प्यूटर के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले कम्प्यूटर वैज्ञानिक डा. विजय भटकर को नालंदा विश्वविद्यालय का नवनियुक्त कुलपति बनाया गया है। वह इस विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति हैं।  नालंदा विश्वविद्यालय एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है। इसकी नए सिरे से स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम-2000 के तहत हुई है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने डा. भटकर की नियुक्ति को मंजूरी दी। उनका कार्यकाल तीन साल का होगा। नालंदा विश्वविद्यालय के गवर्निंग बोर्ड ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से डा. भटकर के नाम की सिफारिश की थी। वह भारतीय मंत्रिमंडल वैज्ञानिक सलाहकार समिति के भी सदस्य हैं। डा. भटकर 12 किताबें लिख चुके हैं और उनके 80 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। यह भी माना जा रहा है कि राष्ट्रपति मुखर्जी के पास केवल डा. भटकर का ही नाम भेजा गया था। पहले इस पद पर जॉर्ज येओ आसीन थे, पर उन्होंने नवंबर, 2016 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। डा विजय भटकर दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के बोर्ड ऑफ  गवर्नर्स के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वह  विज्ञान भारती के प्रमुख भी हैं, जो स्वदेशी विज्ञान को बढ़ावा देने से जुड़ा है। डा. भटकर 1987 में पुणे स्थित सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ  एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक) में सुपर कम्प्यूटर बनाने की परियोजना का नेतृत्व कर चुके हैं। इसके तहत देश के पहले सुपर कम्प्यूटर परम 8000 और परम 10000 बनाए गए थे।

पुरस्कार-

 पद्मश्री पुरस्कार

 पद्मभूषण पुरस्कार

 महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार

 संत ज्ञानेश्वर विश्व शांति पुरस्कार


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