पांवटा साहिब में ‘चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना’

By: Feb 27th, 2017 12:07 am

newsपांवटा साहिब —  गर्मियों की दस्तक से पांवटा साहिब के आसन बैराज से विदेशी पक्षियों की रवानगी आरंभ हो चुकी है। करीब तीन-चार माह के प्रवास के बाद अब विदेशी परिंदे अपने-अपने देशों को रवाना होने लगे हैं। विभाग के स्थानीय विशेषज्ञों ने भी इनके वापसी की पुष्टि की है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब प्रवासी पक्षी आसन बैराज झील से उड़ रहे हैं। उड़ते-उड़ते जा रहे पक्षी मानों कह रहे हो कि ‘चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना’। प्रारंभिक तौर पर सुर्खाव ने वापसी करनी शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक इस बार विदेशी परिंदों की तादाद गत वर्ष के मुकाबले थोड़ी कम रही। इस बार करीब 20-25 विभिन्न प्रजातियों के करीब चार से पांच हजार से अधिक विदेशी पक्षियों ने आसन बैराज की झील में डेरा डालकर यहां के वातावरण को अपनी चहचाहट से गुलजार किया। पांवटा शहर से महज तीन किलोमीटर दूर उत्तराखंड के वेटलैंड, आसन बैराज में पहुंचे भारी संख्या में विदेशी पक्षी अब वापसी कर रहे हैं। मौसम में गर्माहट होते ही इनकी रवानगी हो जाती है तथा मार्च माह तक सभी प्रजातियों के पक्षी वापस अपने वतन लौट जाते हैं। इस बार शेलडक, पिनटेल्स, रूडी, यूरेशियन, शावलर, रेड ग्रेस्टर, पोचार्ड, डक, टफ्ड, स्पाट बिल, मोरगेन, टील, डकएकामन व पांड आदि पक्षी झील पर पहुंचे थे। यह विदेशी मेहमान पांवटा के पास यमुना नदी में भी लोगों को नजर आए। उत्तराखंड प्रदेश के चकराता वन प्रभाग ने विदेशी मेहमानों की आवभगत और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम भी किए हुए हैं। हालांकि यह पक्षी अमूमन मार्च माह के पहले सप्ताह में वापसी करते थे लेकिन इस बार कम बारिश के कारण और मौसम में गरमाहट जल्द आने के कारण यह फरवरी के अंतिम सप्ताह में वापिस रवाना हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि करीब दो हजार पक्षी अपने वतन लौट चुके हैं और इनका जाना जारी है। उधर इस बारे चकराता वन प्रभाग के वन बीट अधिकारी व पक्षी एक्सपर्ट प्रदीप सक्सैना ने बताया कि पक्षियों ने वापसी शुरू कर दी है। अनुमान के मुताबिक अभी तक करीब दो हजार से अधिक प्रवासी व विदेशी पक्षी अपने वतन लौट चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब तक सभी पक्षी वापस नहीं लौट जाते उनकी सुरक्षा के लिए पूरे प्रबंध जारी रहेंगे।

हिमाच्छादित देशों से आते हैं पक्षी

ये पक्षी हिमाच्छादित पोलीआर्टिक, यूरोप, मध्य एशिया व साईबेरिया आदि ऐसे देशों से आकर शरण पाते हैं जहां सर्दियों के मौसम में झीलें और समुद्र जम जाते हैं। बताया जाता है कि आसन झील की पटेरा नामक घास इनके आवास और प्रजनन के लिहाज से भी अनुकूल है। इसके अलावा विदेशी परिंदों की पसंद का हर भोजन इस झील में मौजूद रहता है। झील के आसपास का जंगल और यहां के पक्षियों का दोस्ताना व्यवहार भी इन्हें खूब भाता है। यही कारण है कि हर साल बड़ी संख्या में यह पक्षी आसन झील का रुख करते हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App