पौराणिक हैं हिमाचल में अधिकतर लोक गाथाएं

By: Feb 15th, 2017 12:05 am

हिमाचल प्रदेश में अधिकांश लोक गाथाएं पौराणिक हैं। इनका संबंध धर्म विषयक है। इनमें ‘श्रीराम’ के आदर्श प्रसंग, श्रीकृष्णलीला, भर्तृहरि गाथा, शिशुपाल वध, शिव विवाह, गुग्गा गाथा तथा देवी-देवताओं से संबंधित गाथाएं प्रमुख हैं…

प्रसिद्ध लोक गाथा गीत

हिमाचल प्रदेश में अधिकांश लोक गाथाएं पौराणिक हैं। इनका संबंध धर्म विषयक है। इनमें ‘श्रीराम’ के आदर्श प्रसंग, श्रीकृष्णलीला, भर्तृहरि गाथा, शिशुपाल वध, शिव विवाह, गुग्गा गाथा तथा देवी-देवताओं से संबंधित गाथाएं प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त प्रेम विषयक गाथाओं का भी बहुत बड़ा भंडार पाया जाता है। प्रेम विषयक अधिकांश गाथाएं बहुत मार्मिक हैं। ये घटना प्रधान गाथाएं हैं, जो सत्य पर आधारित हैं। इन गाथाओं में करुणा के भाव बहुत प्रबल हैं। यहां पर हिमाचल प्रदेश की पांच लोक गाथाओं का वर्णन किया जा रहा है, जो साहित्यिक तथा सांगीतिक दृष्टि से विशेष महत्त्व रखती हैं। ये गाथाए हैं-

  1. चंबा क्षेत्र के कुंजू-चंचलो की गाथा
  2. चंबा क्षेत्र के फुलमू रांझू की गाथा
  3. बिलासपुर की मोहणा गाथा
  4. मंडी पंज पतरा की गाथा
  5. शिमला तथा मंडी की सीमावर्ती क्षेत्र की शुकर मेट की गाथा

इनके अलावा अनेक गाथाएं हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित हैं। इनमें गुग्गा गाथा बहुत अधिक प्रसिद्ध और विस्तृत कथानक के आधार पर गाई जाती है। यह इतनी विस्तृत है कि इसी पर एक अलग शोध कार्य किया जा सकता है। इसी प्रकार सिरमौर तथा अपर महासुवी क्षेत्र की महाभारत और राजा भरथरि (भर्तृहरि) की गाथा भी है। यहां उपर्युक्त पांच गाथाओं का सामान्य विवरण दिया जा रहा है।

कुंजू चंचलो : यह लोक गाथा चंबा जनपद के भटियात तहसील की है, जिसमें कुंजू एक धनाढ्य परिवार का पुत्र था और चंचलो एक निर्धन परिवार की रूपवती कन्या। पहाड़ी पुरातन संस्कृति के अनुसार अविवाहित कन्या का संबंध किसी युवक के साथ होना एक अपमानजनक घटना है। फलस्वरूप जब गांव के लोगों को यह ज्ञात हुआ कि कुंजू और चंचलो का परस्पर प्रेम है, तो ग्रामवासियों ने इसमें अपमान समझा और कुंजू को मारने की धमकी दी। चंचलो ने लोगों में प्रतिशोध का भाव देखकर कुंजू को सलाह दी कि वह सामाजिक अपमान और आपत्तिजनक व्यवहार की समाप्ति होने तक किसी और गांव का आश्रय ले। कुंजू सेना में भर्ती हो गया और विरोध करने पर भी चंचलो के माता-पिता ने एक ग्रामीण युवक से हठात् (हठ वश) उसका विवाह कर दिया। इसके बावजूद भी चंचलो का अंतर्मन कुंजू के स्नेहपाश में था और उसी तरह कुंजू का मन भी चंचलो के सुंदर नैनों में वासित था। लोक गाथानुसार एक दिन जब कुंजू को पता चला कि उसकी प्रेयसी चंचलो का किसी अन्य युवक के साथ विवाह कर दिया गया है, तो वह चंचलो की तलाश में भटकता हुआ उस पनघट पर पहुंचा जहां वस्त्र प्रक्षालन करती हुई अपने प्रेमी की याद में आंसू बहा रही थी।


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