बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और हमारा हिमाचल

By: Feb 11th, 2017 12:01 am

( शगुन हंस, योल )

हिमाचल में स्मार्ट सिटी का ऐलान हो गया। हिमाचल शिक्षा में अव्वल और स्वास्थ्य में पहले पायदान पर पहुंच गया। पर हिमाचली बेटियां उनके बारे भी सरकार का, समाज का कुछ फर्ज है। उस फर्ज की फजीहत करने में हिमाचल पीछे नहीं है। कल के ही एक समाचार ने चौंका दिया कि एक साल के दौरान चंबा जिला में करीब तीन हजार लड़कियों ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया और यह सर्वे किसी प्राइवेट एजेंसी का नहीं, बल्कि महिला एवं बाल विकास विभाग का है। और जो लड़कियां स्कूल जाती हैं, उनके बारे में मंडी की खबर ने खुलासा कर दिया कि मंडी के एक स्कूल में तीन लड़कियां पहले बाजार की साफ-सफाई करने में अपने पिता की मदद करती हैं फिर स्कूल पढ़ने जाती हैं। क्या समान और सरकार की आंखें खुलेंगी यह सब पढ़कर या सिर्फ जनसभाओं में भाषण ही होंगे। बख्शो देवी यदि ठंड में नंगे पैर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करती है तो यह खेल विभाग को मुंह चिढ़ाने जैसा ही है। एक महिला सात दिन के बीमार बच्चे को लेकर मंडी में 22 किलोमीटर बर्फ में पैदल जाती है तो हमारी व्यवस्थाओं पर लानत है, जो सिर्फ कागजों तक ही सिमटी हुई हैं। हमें बेटियों के लिए कागजी अभियानों की जरूरत नहीं है, धरातल पर योजनाएं उतारनी होंगी। सरकारें तो आती-जाती रहेंगी, पर प्रदेश कोई पीटी उषा या कल्पना चावला नहीं दे पाएगा।

 


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