भारत का इतिहास

By: Feb 8th, 2017 12:15 am

दो गुटों में बंटी अंतरिम सरकार

थोड़े से समय में ही उसने कई स्वस्थ परंपराएं डालने का प्रयास किया, किंतु लीग के आते ही कुछ भी काम कर सकना कठिन हो गया। लियाकत अली खां जिनके पास वित्त विभाग था, अन्य सभी विभागों के काम में रोड़े अटकाने लगे। मुस्लिम लीग के सदस्यों ने पंडित नेहरू को अंतरिम सरकार का नेता मानना स्वीकार नहीं किया। वस्तुतः एक मिलीजुली सरकार न होकर अंतरिम सरकार अब दो गुटों में बंट गई, जिनके नेता अलग-अलग थे, जिनके उद्देश्य भिन्न थे और जो अलग-अलग काम करते थे। 20 नवंबर को वायसराय ने संविधान सभा की 9 दिसंबर को होने वाली पहली बैठक में भाग लेने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों के नाम निमंत्रण पत्र जारी किए, लेकिन लीग संविधान सभा का बहिष्कार करने के अपने निर्णय पर अब भी अटल थी। साथ ही उसने अब कुछ ताजा आश्वासनों की मांग की तथा संविधान सभा की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना चाहा।

लंदन सम्मेलन

ऐसी स्थिति में भारत सचिव ने कांग्रेस और लीग के बीच समझौता कराने के लिए एक और प्रयास करना उचित समझा। नवंबर, 1946 में ब्रिटिश सरकार की ओर से नेहरू, जिन्ना, पटेल, लियाकत अली और बलदेव सिंह को लंदन बुलाया गया। लंदन सम्मेलन में विशेषतः वर्गीकरण के प्रश्न पर विचार हुआ, किंतु कोई समझौता न हो सका। सम्मेलन की असफलता पर 6 दिसंबर, 1946 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में वर्गीकरण के विषय में कांग्रेस की व्याख्या को गलत बताया और कहा कि प्रांत इस विषय में स्वतंत्र नहीं है, वर्गीकरण ऐच्छिक नहीं, अनिवार्य है। कांग्रेस के क्षेत्रों में इस वक्तव्य की कड़ी प्रतिक्रिया हुई। कुछ समय पहले 15 मार्च को, प्रधानमंत्री एटली ने ही घोषणा की थी कि ब्रिटिश सरकार किसी अल्पसंख्यक वर्ग को यह अधिकार नहीं दे सकती कि वह बहुसंख्यक समाज की प्रगति के पथ पर दीवार बनकर खड़ा हो जाए। वर्तमान वक्तव्य इस प्रकार 15 मार्च के वक्तव्य का बिलकुल उल्टा था। सम्मेलन के परिणाम से केवल जिन्ना को कुछ प्रसन्नता हो सकती थी, क्योंकि उनका वर्गीकरण की अनिवार्यता विषयक आग्रह स्पष्टता मान लिया गया तथा उन्हें यह भी पक्का विश्वास हो गया कि बगैर लीग के सहयोग के बने संविधान को मुस्लिम प्रांतों पर लादा नहीं जा सकता था। इस प्रकार मिशन योजना को सफल-असफल बनाने की कुंजी एक बार फिर लीग के हाथों में आ गई। उधर, देश में सांप्रदायिक स्थिति तथा कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा  रही थी।


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