लुटरू महादेव

By: Feb 18th, 2017 12:10 am

newsnewsशिव जी के रुद्र नाम से विख्यात है अर्की की लुटरू महादेव गुफा। अतः जन साधारण में रुद्र, रुदर, लुदर, लुटरू नाम स्वाभाविक रूप से बदल गया है। आदिकाल से स्वनिर्मित शिवलिंगों से शोभित लुटरू गुफा अद्भुत प्राकृतिक दुश्य उपस्थित करती है। आग्नेय चट्टानों से निर्मित इस गुफा की लंबाई पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 20 फुट तथा उत्तर से दक्षिण की ओर 42 फुट है । गुफा की ऊंचाई तल से 3 फुट से 100 फुट तक है। ऊपर से तिरछे रूप से खुली होने पर इसमें वर्षा का प्रवेश नहीं होता तथा सूर्य का प्रकाश पर्याप्त रूप से होता है। गुफा की ऊंचाई समुद्र तल से  लगभग 5500 फुट है किंतु इसकी ऊपरी चोटी की ऊंचाई 6000  फुट के लगभग है, जिस पर बर्फ पड़ती है। गुफा में सैकड़ों व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था हो सकती है। अर्की बस स्टैंड से लगभग एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित गुफा तक पहुंचने के लिए 100 सीढि़यां चढ़कर जाना पड़ता है। आज यहां विशाल भवनों का निर्माण किया गया है। शिव गुफा नाथ संप्रदाय की पवित्र स्थलियों में एक है। लुटरू गुफा को परशुराम की पौल कहा जाता है। सहस्रबाहु को मारने के पश्चात परशुराम हिमालय के विभिन्न स्थानों पर विचरण करते रहे, तो उनके चरण यहां पड़े थे। बाघल के राजाओं ने शिवरात्रि के अवसर पर यहां विशाल धार्मिक उत्सव की परंपरा प्रारंभ की थी।  गुफा का संबंध बाबा बालक नाथ से भी जोड़ते हैं। 1805 से 1815 में आक्रमणकारी गोरखों ने भी यहां आवास बनाया था। वे लुटरू धार, सुखण ताल, बाड़ी घाट, घोघर की धारों पर दुर्ग बनाकर रहते थे। आज लुटरू महादेव गुफा अर्की ही नहीं पूरे जिले में सैलानियों एवं श्रद्धालुओं के पर्यटन का पवित्र स्थल बन गई है। जहां स्थायी रूप से नाथ संप्रदाय के साधु निवास करते हैं। मुटरू महादेव – लुटरू महादेव गुफा की तरह अर्की नगर के चरणों में सदाबहार नाले के किनारे मुटरू महादेव गुफा स्थित है। यहां पहाड़ी से सटी लंबी गुफा में संगमरमर की तरह चूने के कठोर पत्थरों से निर्मित दर्जनों शिवलिंग लटके हुए हैं। जिन पर पानी की अजस्र धाराएं बह रही हैं। यह शिव गुफा 10/ 10 फुट के तीन बराबर कक्षों में विभाजित है। यहां वर्तमान समय में गंगागिर साधुओं की परंपरा में साधु निवास करते हैं। शिवरात्रि में लुटरू महादेव के दर्शन के पश्चात श्रद्धालु यहां भी दर्शन के लिए आते हैं।

– अमर देव आंगिरस, दाड़लाघाट


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