‘शतकवीर’ अचानक ‘शून्य’ !

By: Feb 28th, 2017 12:02 am

अभी हाल तक देश उनके नाम के कसीदे बुन रहा था। बेशक वह क्रिकेट की दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं, वह ‘टीम इंडिया’ के विराट शख्स हैं, विराट कप्तान और विराट प्रेरणास्रोत हैं। लगातार चार टेस्ट सीरीजों में चार दोहरे शतक…अभूतपूर्व और अप्रतिम..! बेशक टीमें भी अव्वल दरजे की थीं। इंग्लैंड अपनी हालिया पीड़ा और सदमे से अभी तक उबरा भी नहीं होगा! लेकिन अचानक ऐसा एहसास हुआ मानो किसी ने ‘अश्वमेध यज्ञ’ का न केवल घोड़ा थाम लिया हो, बल्कि उसे घुटनों के बल बैठने को भी विवश कर दिया हो! ऐसा नहीं है कि क्रिकेट में टीम इंडिया ने कभी पराजय नहीं देखी। उन मंजरों से गुजरकर ही टीम विश्व में नंबर वन टेस्ट टीम है और अभी ‘ताज’ सलामत है। सवाल यह है कि कप्तान विराट कोहली ने शतकों के सिलसिले लगा रखे थे, अश्विन आज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ, नंबर एक गेंदबाज हैं, टीम इंडिया को स्पिन गेंदबाजी खेलने में महारत हासिल है, यह हमारी क्रिकेट की विरासत स्पष्ट करती है। आखिर आस्टे्रलिया के स्पिनर ओकीफ की गेंदों में ऐसा क्या करिश्मा था कि 11 रनों पर आखिरी 7 विकेट ढह गए? चलो…पहली पारी का पतन स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन मुरली, राहुल, रहाणे, विराट आदि सभी अनुभवी, अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाज हैं। क्या दूसरी पारी में भी ओकीफ की गेंदों का तोड़ नहीं निकाल पाए? क्या ओकीफ ने ऐसा चक्रव्यूह बुन दिया था कि बल्लेबाजों का ढेर होना ही तय था? बेशक बल्लेबाज टिक नहीं पाए, लिहाजा तनाव और दबाव में बिखरते चले गए। यह बल्लेबाजी के हुनर की अपेक्षा पराजय की मनःस्थिति का मामला ज्यादा लगता है। यकीन ही नहीं होता कि जो टीम 19 टेस्ट मैचों से अजेय थी, जो टीम 2004 के बाद अपने ही घर में आस्टे्रलिया से कभी पराजित नहीं हुई थी, अचानक उसने ऐसा ढहना शुरू किया कि अढ़ाई दिन में ही टेस्ट मैच समाप्त हो गया और टीम इंडिया पर 333 रनों की करारी हार का कलंक भी चिपक गया। लेकिन हम इसे राष्ट्रीय अवसाद का मुद्दा नहीं बनाना चाहते, क्योंकि सीरीज में अब भी तीन और टेस्ट मैच शेष हैं और हमें यकीन है कि वर्ल्ड नंबर वन टीम वापसी और पलटवार जरूर करेगी। ‘मास्टर ब्लास्टर’ सचिन तेंदुलकर तो पूरी तरह आश्वस्त हैं कि टीम इंडिया वापसी करेगी, क्योंकि ऐसा होता आया है, जब हमने कंगारुओं को पराजित किया है, तो वे भी वापसी करते रहे हैं। यही खेल है, लिहाजा अब क्षोभ की मुद्रा से बाहर आने की जरूरत है। संभव है कि अब बंगलूर की पिच को टर्नर के बजाय स्पिन फ्रेंडली बनाया जाए। महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने तिहरा शतक ठोंकने वाले करुण नायर को टीम एकादश में न रखने पर सवाल किए हैं। संभावना है कि इस बार गलती सुधारते हुए नायर को उनका स्थान दिया जाएगा। सभी क्रिकेटर खूब अनुभवी हैं। उनके फुटवर्क या खेल की शैली पर सवाल करना बचकानापन होगा, लेकिन यह यथार्थ है कि अब ‘कंगारू’ टीम इंडिया के डर और खौफ से मुक्त है। अब दबाव और छवि बचाने का तनाव पूरी तरह टीम इंडिया पर है। यह खेल है, लिहाजा जीत-हार उसके हिस्से हैं, लेकिन जो खिलाड़ी लगातार ‘शतकवीर’ की शख्सियत जी रहे हों, अचानक वही ‘शून्य’ साबित होने लगें, तो कुछ असामान्य-सा लगता है। खिलाड़ी संघर्ष करते, जूझते और रनों-विकेटों की प्रतिबद्धता के प्रति समर्पित दिखने चाहिए, आत्म-समर्पण की मानसिकता वाले खिलाड़ी न तो लिए जाएं और न ही देश को ऐसे खिलाडि़यों की दरकार है।


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