शिवरात्रि महोत्सव

By: Feb 18th, 2017 12:10 am

newsअंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए देवता सजने शुरू हो गए हैं। गांव में न केवल उत्सव को लेकर देवलुओं में उत्साह है बल्कि देवताओं में भी सुंदर दिखने की होड़ लगी रहती है। देवताओं के शृंगार का काम देवताओं के खास कारीगर और देवलु करते हैं। खास बात यह है कि केवल शिवरात्रि के लिए ही कुछ देवता खास तौर पर शृंगार करते हैं जबकि वर्ष भर ये देवता स्वर्ण आभूषणों व नगों को नहीं पहनते हैं। इसकी खास वजह यह है कि देवता शिवरात्रि जलेब में शामिल होने आते हैं, जिसे शिव की बारात कहा जाता है…पूरे देश में शिवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन हिमाचल जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, यहां के हर त्योहार की  अपनी एक खास विशेषता और महत्ता है। इसलिए हिमाचल में चाहे कोई भी त्योहार हो या फिर मेले, हर उत्सव की अपनी ही धूम होती है। वैसे ही शिवरात्रि का त्योहार हिमाचल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। खासकर हिमाचल के अंतरराष्ट्रीय मंडी उत्सव की तो बात ही निराली है। उत्तर-पश्चिमी भारत में भगवान शिव की पौराणिक गाथाएं गहरी जडं़े जमाए हुए हैं। इसलिए मंदिरों में भी शिव पूजन को बहुत महत्त्व दिया जाता है। ग्रामीण लोगों के लिए यह सबसे बड़ा त्योहार होता है इसलिए सब खुलकर खर्च करते हैं। यह त्योहार लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। यूं तो पूरा वर्ष इस त्योहार के लिए लोग बचत करते हैं परंतु त्योहार से एक मास पूर्व वास्ताविक तैयारी प्रारंभ होती है। देव परंपरा के संरक्षण व धार्मिक अनुष्ठानों में मंडी नगर का विशेष ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा पुरातात्विक महत्त्व रहा है, जिससे यह नगर छोटी काशी के नाम से विख्यात है। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जहां शिवरात्रि अत्यंत श्रद्धा से मनाई जाती है, वहीं मंडी के मेले को अंतरराष्ट्रीय मेले के रूप में मनाया जाता है। यह धार्मिक उत्सव मंडी नगर में बड़े उत्साह से सैकड़ों वर्षों से मनाया जा रहा है। इसमें 80 के करीब देवी-देवता बारात के रूप में भाग लेते हैं। चारों ओर से हजारों लोग अपनी- अपनी वेशभूषा में आते हैं। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए देवता सजने शुरू हो गए हैं। गांव में न केवल उत्सव को लेकर देवलुओं में उत्साह है बल्कि देवताओं में भी सुंदर दिखने की होड़ लगी रहती है। देवताओं के शृंगार का काम देवताओं के खास कारीगर और देवलु करते हैं। खास बात यह है कि केवल शिवरात्रि के लिए ही कुछ देवता खास तौर पर शृंगार करते हैं जबकि वर्ष भर ये देवता स्वर्ण आभूषणों व नगों को नहीं पहनते हैं। इसकी खास वजह यह है कि देवता शिवरात्रि जलेब में शामिल होने आते हैं, जिसे शिव की बारात कहा जाता है। 25 फरवरी से विधिवत शुरू होगा मेला- हालांकि इस बार शिवरात्रि 24 फरवरी को है, लेकिन मंडी में शिवरात्रि का मेला 25 फरवरी से विधिवत शुरू होगा इस दिन मुख्य जलेब निकलेगी। इस जलेब में माधवराय से मिलने और भूतनाथ मंदिर में हाजरी भरने के लिए देवता खास साज-सज्जा के साथ आते हैं। यही नहीं देवता के ऐसे कई वाद्ययंत्र भी केवल शिवरात्रि में आते हैं जिनकी ध्वनियों से छोटी काशी मंडी देवलोक सी प्रतीत होती है। इस बार देव ध्वनि कार्यक्रम का भी आयोजन रखा गया है लिहाजा देवलु अपने वाद्ययंत्रों को चमकाने में लगे हुए हैं।16 को चलेंगे देव कमरूनाग- आराध्य देव कमरूनाग 16 फरवरी को अपने मूल स्थान से चलेंगे और करीब 8 दिन पैदल यात्रा के बाद 23 फरवरी को मंडी शहर में प्रवेश करेंगे। खास बात यह है कि कमरूनाग के पास भी ऐसे वाद्ययंत्र हैं जो केवल उनके साथ चलने पर ही बजाए जाते हैं। 20 को मंडी रवाना होंगे सराज के देवता- बालीचौकी और जंजैहली सराज के देवता 20 फरवरी को चलेंगे और 4 दिन पैदल सफर और रात्रि ठहराव के बाद मंडी शहर में प्रवेश करेंगे।


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