सबक ले शिवसेना

By: Feb 28th, 2017 12:01 am

( डा. शिल्पा जैन सुराना, वंरगल (तेलंगाना) )

हाल ही में हुए महाराष्ट्र निकाय चुनावों में शिवसेना पहले व भाजपा दूसरे स्थान पर रही। शिवसेना के लिए नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं। भले ही वह पहले स्थान पर रही, पर भारतीय जनता पार्टी ने जो कड़ी टक्कर इसे दी, वह काबिले तारीफ है। शिवसेना अब एक ऐसी पार्टी बन गई है, जो कि गुंडागर्दी को शह देती है। उसके अपने कोई उसूल और सिद्धांत नहीं रह गए हैं। हिंदुत्व का नारा लगाती पार्टी को हिंदुत्व से कोई मतलब ही नहीं रहा। असल बात तो यह है कि शिवसेना ने अपनी जड़ें काटकर अपने शासन के वट वृक्ष को कमजोर बना दिया है। बीएमसी चुनाव में मारवाड़ी, गुजरात और जैनियों ने दबदबे वाले क्षेत्रों में सौ प्रतिशत सीटें भाजपा ने जीती हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतों को दरकिनार कर दिया है। पिछले साल जैनों के त्योहार पर्युषण पर जब सरकार ने कत्लखाने बंद रखने का आदेश दिया, तो शिवसेना ने मंदिरों व पवित्र जैनालयों के सामने मांस की दुकानें लगाई। महाराष्ट्र और मुंबई का विकास कोई शिवसेना की बदौलत नहीं, बल्कि हर समाज ने उसके विकास में योगदान दिया है। चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद भी अगर शिवसेना के मन-दिमाग में कोई मुगालता बचा है, तो उसे निकाल फेंकना ही बेहतर होगा। बेशक राजनीतिक दल आजकल खुद को ज्यादा समझदार मानने लगे हैं, लेकिन ये जनता के विवेक को नजरअंदाज नहीं कर सकते। जब-जब राजनीतिक दलों ने ऐसी गलती की है, तो जनता ने उन्हें वास्तविकता का आईना दिखाया है। समय आ गया है कि शिवसेना एक बार आत्मचिंतन करे। भाजपा की ये उपलब्धियां उनके लिए सबक हैं।

 


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