समसामयिकी

By: Feb 15th, 2017 12:07 am

इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण

cereerओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से भारत ने इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण करते हुए मिसाइल तकनीक की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल कर ली। यह बैलिस्टिक मिसाइल दुश्मन के मिसाइल हमले का जवाब आसमान में ही देने में सक्षम है। इस सफल परीक्षण के बाद भारत इस उन्नत तकनीक को हासिल करने वाला पांचवां देश बन गया है। अभी तक यह तकनीक केवल अमरीका, रूस, चीन और इजरायल के पास ही है। पृथ्वी डिफेंस व्हीकल के नाम से जाने जाने वाले इस मिसाइल सिस्टम ने परीक्षण के दौरान अपने टारगेट को आसमान में 97 किमी की ऊंचाई पर ध्वस्त कर दिया। परीक्षण के लिए बंगाल की खाड़ी से एक कृत्रिम बैलिस्टिक मिसाइल को लांच किया गया था। इसके साथ ही भारत ऐसी तकनीक विकसित करने की दिशा में बढ़ रहा है, जिससे चीन या पाकिस्तान से हुए किसी भी मिसाइल हमले का जवाब वातावरण में 20-40 किलोमीटर की ऊंचाई पर ही दिया जा सके।

कैसे करेगा काम

यह मिसाइल ऑटोमेटेड आपरेशन, राडार आधारित और ट्रैकिंग सिस्टम आदि तकनीक से लैस है, जो कम्प्यूटर नेटवर्क की मदद से डेटा की गणना कर बैलिस्टिक मिसाइल हमले का पता लगाकर उस पर जवाबी हमला कर सकेगी। इस सफल परीक्षण के बाद भारत दुश्मन के किसी भी मिसाइल हमले को आसमान में ही रोका जा सकेगा।

क्या है खास

इस तकनीक के जरिए दुश्मन की मिसाइल को पृथ्वी के वातावरण से बाहर ही 2000 किमी दूर ही ध्वस्त किया जा सकेगा। भारत यह तकनीक हासिल करने वाला पांचवां देश बन गया है, जो मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में भारत की ताकत दिखाता है। कम्प्यूटर से जरूरी कमांड मिलते ही यह मिसाइल जवाबी हमले के लिए निकलने को तैयार रहती है। जैसे ही यह मिसाइल धरती के वातावरण से बाहर निकलती है हीट शील्ड इससे अलग हो जाती है और यह अपने लक्ष्य साध कर हमले करने को तैयार हो जाता है। इसका एक फायदा यह भी है कि इतनी ऊंचाई पर मिसाइल को ध्वस्त करने के कारण मिसाइलों का मलबा जमीन पर नहीं गिरता जिससे किसी और नुकसान का खतरा नहीं होता।

राह नहीं थी आसान

उच्च तकनीक वाले बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को विकसित करने की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। भारत ने 2006 में पहली बार इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण 2006 में किया था। उसके बाद से करीब इन मिसाइलों के करीब 10 परीक्षण हो चुके हैं, जिसमें से कम से कम 3 फेल हुए हैं। बीएमडी सिस्टम दुश्मन की मिसाइल को पृथ्वी की सतह के भीतर या बाहर खाक करने में सक्षम होता है। बीएमडी तकनीक के पहले चरण में दुश्मन की मिसाइल को 2000 किमी रेंज में तबाह करने की तकनीक को विकसित किया गया था वहीं, दूसरे फेज में रेंज को बढ़ा कर 5000 किमी कर दिया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए इसे भारत की सैन्य क्षमता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है।


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