समसामयिकी

By: Feb 22nd, 2017 12:07 am

इसरो का विश्व रिकार्ड

cereerभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष विज्ञान का एक और कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है। एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का इसरो का अभियान सफल रहा। अब तक एक साथ सबसे ज्यादा उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का रिकार्ड रूस के नाम था। उसने 2014 में एक ही अभियान में 37 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था। इससे पहले इसरो जून 2015 में 23 और 2016 में 20 उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण कर चुका है। अनुमान है कि इसरो को विदेशी सेटेलाइटों से 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की आमदनी हुई है। इसरो ने अपने इस महत्त्वपूर्ण प्रक्षेपण के लिए एक बार फिर पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) पर भरोसा किया। 15 फरवरी बुधवार को सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर पीएसएलवी ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से अपनी 39वीं उड़ान भरी। 1378 किग्रा वजन के साथ पीएसएलवी ने 27,000 किमी की रफ्तार पर महज 600 सेकंड के भीतर सभी उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया। इसरो ने मंगल अभियान में भी पीएसएलवी का ही इस्तेमाल किया था।

इन उपग्रहों में तीन भारत के हैं और बाकी अमरीका, इजरायल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और स्विट्जरलैंड के। इनमें अमरीका के सबसे ज्यादा 96 उपग्रह हैं। सारे उपग्रहों में कार्टोसेट-2 सीरीज का भारतीय उपग्रह सबसे भारी है। इसका वजन 714 किलो है। 19-19 किलो के दो उपग्रहों सहित बाकी सभी उपग्रह प्रायोगिक किस्म के नैनो-सेटेलाइट हैं, जिनका कुल वजन 664 किलो है। इसरो की इस सफलता के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे बधाई दी है। इस सफलता से इसरो का व्यावसायिक पक्ष मजबूत होगा। इसरो प्रमुख एस किरण कुमार ने बताया था कि इस अभियान के आधे खर्च की भरपाई विदेशी ग्राहकों के भुगतान से हो रही है। इससे आने वाले समय में इसरो को व्यावसायिक प्रक्षेपण का काम मिलने की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। भारत की ओर से विकसित ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान इसरो का सबसे विश्वस्त राकेट है। पीएसएलवी-सी 37 इस श्रेणी के राकेट का 39वां मिशन है।  इसरो ने इस मिशन में सबसे भारी पीएसएलवी का इस्तेमाल किया है। पीएसएलवी-37 का वजन 320 टन, ऊंचाई 44.4 मीटर है। इसरो का यह राकेट 15 मंजिला इमारत जितना ऊंचा है। मंगलयान की कामयाबी के बाद इसरो की कॉमर्शियल इकाई (अंतरिक्ष) को लगातार विदेशी सेटलाइट्स लांच करने के आर्डर मिल रहे हैं। इसरो पिछले साल जून में एक साथ 20 सेटलाइट्स लांच कर चुका है। इससे पहले तक इसरो 50 विदेशी सेटलाइट्स लांच कर चुका था। पिछले कुछ सालों में इसरो ने विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कामयाबी दर्ज की है। एसएलवी-3 भारत का पहला स्वदेशी सेटेलाइट लांच व्हीकल था। इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे। इसरो के मार्स मिशन को सबसे सस्ता बताया जाता है। इस पर करीब 450 करोड़ रुपए खर्च हुए, जिसे पीएम मोदी ने हॉलीवुड फिल्म ग्रेवेटी के खर्चे से भी कम बताया था।


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