साधुवाद की तरह फैसले

By: Feb 20th, 2017 12:01 am

यकीनन मंत्रिमंडलीय बैठक साधुवाद की खोज में  बाबा रामदेव की जमीन तक पहुंच गई है और हर तरह के प्रयासों के बीच साधुपुल एक बार फिर पतंजलि से जुड़ने के काबिल हो गया। यह फैसला भाजपा को हैरान करेगा और सियासत की बेडि़यों से बाहर निकलकर सरकार की आदत बदल गया है। कहना न होगा कि चुनावी  वर्ष की इबादत में नए मठ बनेंगे या अवरोधक टूटेंगे। भाग्यशाली तो वे तीन हजार जलवाहक हैं, जिनकी नौकरी के कुंभ में  अब थोड़ा सा और सरकारी  खजाना आ जाएगा। सरकारी नौकरी के अरमान के बीच ‘वरदान’ देने की मुद्रा में वीरभद्र सिंह मंत्रिमंडल का आगाज नित नए अंदाज में जब कर्मचारी  वर्ग के टूटे सपनों को सहेजता है, तो खनक दूर तक  जाती है और  कुछ इसी अभिप्राय में तीन  हजार जलवाहकों की किश्ती अब सरकारी नदिया के उसपार तक  जा पाएगी। रहम दिल सरकार दैनिक वेतनभोगियों के साथ खड़ी होकर जब सत्ता का आश्रय प्रदान करती है, तो लाभार्थी दर्जनों हो जाते हैं। एक साथ सौ डाक्टरों की नियुक्ति का अनुबंध रोजगार को आक्सीजन देता है, तो कई चिकित्सा संस्थाओं में चिकित्सकों के लिए इंतजार टूटेगा। हालांकि प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों के अलावा नए मेडिकल कालेजों को बेहतर ढंग से चलाने के लिए बेहतर से बेहतर डाक्टरों की खोज अभी चंद तिनकों के बराबर पूरी हुई है। नई नियुक्तियों से विभागीय रिक्तियों का एक बड़ा समाधान, शुक्रवार की मंत्रिमंडलीय बैठक  को उदारवादी तमगा सौंप सकता है। सरकार ने काफी मशक्कत से अपने एजेंडे को नया कलेवर देते हुए, बंद पड़ी फाइलों पर खूबसूरत हस्ताक्षर किए हैं। नौकरियों का लिफाफा खोलने के अलावा सरकार ने कुछ नीतिगत  फैसलों की चिट्ठी भी लिखी है। खास तौर पर  अरसे से चर्चाओं में रहे ईको-टूरिज्म को बाकायदा नीतिगत अमलीजामा पहनाया जा रहा है। हिमाचली उद्यमशीलता को परवान चढ़ाने के हिसाब से स्वचिन्हित पचपन माइक्रो हाइडल प्रोजेक्ट को मिल रही मंजूरी, जो एक प्रगतिशील पैगाम है। इसी तरह आदर्श विद्यालयों की योजना को यथार्थ में बदलने का संकल्प भी पूरा हो रहा है। शिमला के नजदीक आईटी पार्क पर अंततः सरकार ने इच्छाशक्ति प्रकट की है, तो इस फैसले के आलोक में युवा वर्ग के भविष्य को देखा जाएगा। जोगिंद्रनगर के विकास में जुड़ रहा नगरपरिषद का नाम और औट तथा सांगला के लिए विकास योजना से नगर नियोजन को परिभाषित  करते इरादे जाहिर हो रहे हैं। नगर निगम धर्मशाला  में समाहित हुए ग्रामीण इलाकों को किसी भी प्रकार के शहरी करों से छूट से जो सहमति  बनेगी, उसका प्रसार अभी योल छावनी क्षेत्र के बाबत खामोश है। खामोशियां तो उस ऐलान पर भी पसरी हैं, जिसे शीतकालीन प्रवास के उत्साही माहौल  ने दूसरी राजधानी बना दिया। बेशक मैराथन बैठक  के फैसले भी तसल्ली से हुए, लेकिन जो फिसले उनके संभलने का इंतजार अभी बाकी है। सरकार ने सस्ते अनाज की टोकरी में मूंगी, चने , मलका मसूर और उड़द डालकर, अगले कुछ महीनों तक आम आदमी के खाने का स्वाद सही किया है तो सेहत के क्षेत्र में कई कारगर फैसले भी लिए । आईजीएमसी और टीएमसी की रोगी  कल्याण समितियों द्वारा रखे गए कर्मचारियों को अब सरकारी सेवा का अनुबंध मिल गया, तो स्टाफ नर्सों को पद ग्रहण में समय की छूट मिली है। चिकित्सा क्षेत्र में सेवा नियमों, साहसिक गतिविधियों तथा स्ट्रीट वेंडर के लिए सरकार ने दिशा निर्देशों को ठोस आधार देने का फैसला किया है। कुल मिलाकर मंत्रिमंडल की यह बैठक अपनी सरकार को मुकम्मल करने की परिपाटी की तरह, परीक्षा पूर्व सारे पाठ्यक्रम को निपटाने की कोशिश है। सरकार ने खुद को बुलंद करते हुए ऐसे फैसले भी लिए, जो काफी समय से अटके थे। उदारता की अपनी एक शख्सियत व सियासत है और इसी सिद्धांत पर राज्य सरकार अब दिल खोलकर  अपनी संवेदना पर मुहर लगा रही है।


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