सुन लो! फूलों पर न करें स्प्रे
भुंतर — फलों की घाटी कुल्लू में ऋतु परिवर्तन के बाद वंसत ने दस्तक दे दी है। जिला के निचले व कम ऊंचाई वाले इलाकों में वसंत आगमन के साथ यहां की आर्थकी की रीढ़ मानी जाने वाले गुठलीदार फलों के बाग-बागीचों को प्राकृतिक रंगों से सराबोर कर डाला है। सफेद व लाल रंग के फूल सैलानियों को आकर्षित करने लगे हैं, वहीं फ्लावरिंग प्रक्रिया में तेजी आने के साथ बागबानों ने बागानों में डेरा डालने की तैयारी कर ली है। लिहाजा वसंत आगमन से पेड़-पौधों में खिले फूलों ने बागबानों को आने वाले छह माह तक बागीचों में डटने का सांकेतिक अलर्ट भी जारी कर दिया है। दूसरी ओर बागबानी विशेषज्ञों ने बागबानों को इन पर किसी प्रकार का छिड़काव न करने की सलाह देते हुए इनके परागण की व्यवस्था करने को कह दिया है। वसंत का असर जिला के निचले इलाकों भुंतर, बजौरा, नगवाई, जीया, मौहल, शमशी, नरैश, रूआड़ू सहित रूपी व स्नौर घाटी में दस्तक दी है, जिससे यहां पर पेड़ों ने मनोहारी सफेद और लाल चोला पहन लिया है। जानकारों के अनुसार आने वाले एक से दो सप्ताह में घाटी के अन्य इलाकों में वसंत की एंट्री होनी तय है। जानकारी के अनुसार निचले इलाकों के बागबानों की आजीविका के मुख्य साधन प्लम, आड़ू और खुमानी जैसे गुठलीदार फलों में फ्लावरिंग की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। कुल्लू-मनाली में इन दिनों विंटर पर्यटन सीजन चरम पर है और ऐसे में फूलों से लकदक पेड़ बाहरी राज्यों और विदेशों से आने वाले सैलानियों के लिए कौतूहल का विषय बन गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास के बागानों के पास सैलानी प्रकृति की इस कलाकारी को कैमरों में कै द करते हुए भी नजर आने लगे हैं। जिन इलाकों में फ्लावरिंग प्रक्रिया आंरभ हो चुकी है, वहां के बागबानों को कुल्लू जिला के बजौरा में स्थित क्षेत्रीय बागबानी अनुसंधान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डा. डीआर खजूरिया ने सलाह जारी करते हुए कहा है कि वे फूलों पर किसी भी प्रकार की स्प्रे न करें। उनका कहना है कि फूलों पर स्प्रे करने से परागण प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाले कीट मर जाते हैं और परागण प्रक्रिया प्रभावित होने से उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है, वहीं उन्होंने नाशपाती और अन्य फलों में स्प्रे आदि को पूरा करने का भी सुझाव दिया है।
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