स्टेंट के रेट घटते ही घटे दिल के मरीज
दवा दुकानों में भी आसानी से नहीं मिल रही मशीन, कमीशन का कारोबार खत्म
शिमला – दिल के मरीजों के लिए कोरोनरी स्टेंट्स की कीमत 85 फीसदी घटने के बाद भी अस्पतालों में डलने वाले स्टेंट के मामलों में कमी आई है। सूत्रों का कहना है कि 15 फरवरी से पहले जहां सरकारी अस्पतालों में औसतन हर सप्ताह तीन से चार स्टेंट पड़ते थे, वहीं अब यह आंकड़ा दो से तीन तक सिमट गया है। दवा दुकानों में भी विक्रेता स्टेंट की बिक्री से परहेज कर रहे हैं। कारण यह है कि स्टेंट के नाम पर पहले विक्रेता से लेकर चिकित्सा संस्थानों तक को मोटी कमाई होती थी, लेकिन अब सरकार ने स्टेंट की कीमत 85 फीसदी तक घटा दी है। इस कारण अब स्टेंट के इस धंधे में मोटी कमाई और कमीशन का कारोबार लगभग खत्म हो गया है। हालांकि चिकित्सकों का दावा है कि सरकारी अस्पतालों में तय दामों पर ही स्टेंट डाले जाते हैं, लेकिन कई बार स्टेंट को लेकर विवाद होते रहे हैं। अब सभी वैरायटी के स्टेंट करीब 7000 से 31 हजार रुपए के बीच मिलेंगे। पहले इनकी कीमत 45 हजार से 1.25 लाख रुपए तक थी। नई कीमत में वैट समेत तमाम दूसरे टैक्स शामिल हैं। केंद्र ने नई कीमतें तुरंत लागू करने को कहा है। सूत्रों का कहना है कि स्टेंट डालने की पूरी प्रक्रिया पर करीब 60 से 65 हजार का खर्च आता है। आईजीएमसी में ही सालाना 600 स्टेंट डलते हैं।
अदालत पहुंच गया था विवाद
आईजीएमसी में स्टेंट डालने को लेकर कुछ समय पहले विवाद भी हो चुका है। विवाद एक्सपायरी स्टेंट डालने को लेकर हुआ था। मामला कोर्ट तक पहुंचा था।
कोरोनरी स्टेंट
कोरोनरी स्टेंट एक ट्यूब के जैसी डिवाइस होती है, जिसे ब्लॉकेज होने पर आर्टरी में लगाया जाता है, ताकि हार्ट को पूरी तरह खून की सप्लाई मिलती रहे। सर्जरी के जरिए स्टेंट को आर्टरी के उस हिस्से में लगाया जाता है। जहां कोलेस्ट्रॉल जमने से ब्लड सप्लाई नहीं हो पाती है और हार्ट अटैक का खतरा रहता है।
बेयर मेटल स्टेंट
यह नॉर्मल स्टेंट होता है, जबकि खास तरह के ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट पर मेडिसिन लगी होती है। हार्ट ब्लॉकेज दूर करने में इसका इस्तेमाल होता है।
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