हिमाचली साहित्य हिंदी जगत का ध्यान आकर्षित कर रहा है

By: Feb 27th, 2017 12:04 am

साहित्य पाठक के लिए ही लिखा जाता रहा है और हिमाचल में लिखा जा रहा गंभीर साहित्य भी निश्चित तौर पर पाठकों के लिए ही लिखा जा रहा है, किसी संस्था के लिए नहीं। मुझे ऐसा कतई नहीं लगता कि ऐसा नहीं हो रहा है। इधर कविता में भी और कहानी में भी बराबर ऐसा लेखन हो रहा है, जो पूरे हिंदी जगत का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसकी वजह भी यही है कि वह अपने परिवेश से जुड़ कर अपने समय के तमाम बड़े प्रश्नों और चिंताओं से मुठभेड़ कर रहा है। पूरा हिंदी जगत इन रचनाओं की मार्फत हिमाचल को देख रहा है। कविता कहानी पर आ रहे अनेक आलेख इसका प्रमाण हैं। साहित्य अध्यापन के क्षेत्र में सेंसिबिलिटी का प्रायःअभाव खलता है। साहित्य का अध्यापन-अध्ययन निश्चित तौर पर अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक संवेदनशीलता की मांग करता है । जेएनयू, बनारस या इलाहाबाद विश्वविद्यालयों की तरह हमारे विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सृजनात्मक गतिविधियों का प्रायः अभाव रहा है। इस तरह की योजनाओं की जरूर अपेक्षाएं हैं ताकि विद्यार्थियों में पढ़ने- लिखने के संस्कार विकसित हो पाएं । हिमाचल भाषा अकादमी और सरकारी संस्थाओं को दशकों पहले एमके काव के समय को याद करना चाहिए। वैसी बड़ी भूमिका फिर कोई क्यों नहीं निभा पाया। यहां जेनुइन लेखन को अपने एजेंडे के केंद्र में रखना पड़ेगा। उसकी समझ और शिनाख्त अकादमी के पास होनी चाहिए। इससे जेनुइन लेखन को ही नहीं इन संस्थाओं और  माहौल को भी लाभ होगा । बेहतर रचना तो पूरे हिंदी जगत में भी अपना स्पेस बना ही लेगी । जेनुइन रचना या रचनाशीलता की उपेक्षा से ये संस्थाएं अपनी ही भूमिका का इतिहास लिखती हैं कि अपने समय की महत्त्वपूर्ण रचना या रचनाशीलता के प्रति इनका कैसा रवैया रहा। यह बात आज के ही नहीं व्यापक संदर्भ में है। गरज यह कि इन संस्थाओं से बड़ी और अधिक संवेदनशील भूमिका की अपेक्षा है ।

-आत्मा रंजन हिमाचल के चर्चित कवि हैं।

इनके पहले ही काव्य संग्रह ‘पगडंडियां ’ को

राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है, वह कविता

का नया मुहावरा गढ़ रहे हैं।


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