आरती श्री दुर्गाजी

By: Mar 25th, 2017 12:05 am

अंबे तू है जगदंबे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।

तेरे भक्त जनों पर माता भीर पड़ी है भारी।

दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥

सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,

दुष्टों को तू ही ललकारती।

ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥

मां-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।

पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥

सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,

दुखियों के दुखड़े निवारती।

ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।

हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥

सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,

सतियों के सत को संवारती।

ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।

वरद हस्त सर पर रख दो मां संकट हरने वाली॥

मां भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,

भक्तों के कारज तू ही सारती।

ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥


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