नीतियों में आध्यात्मिकता लाएं योगी

By: Mar 28th, 2017 12:08 am

NEWSडा. भरत झुनझुनवाला

लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं

हिंदू धर्म कहता है कि अंतर्मन की आवाज सुनो। योग और ध्यान के माध्यम से अपनी अंदरूनी वृत्ति को पहचानो और मन को सांसारिक खिंचावों से हटाकर अंतर्मन की ओर ले जाओ। बौद्ध धर्म मध्यम मार्ग को बढ़ावा देता है। विज्ञापन में बहने के स्थान पर उससे जनित इच्छाओं पर नियंत्रण करने को कहता है। हर धर्म का प्रयास है कि व्यक्ति सांसारिक आकर्षणों द्वारा विपरीत दिशा में खिंचा न चला जाए। जरूरी है कि धर्मों के इस पक्ष को देश के सभी विद्यालयों में अनिवार्यतः पढ़ाया जाए…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाना उनके अध्यात्म के प्रति आस्था का प्रतीक है। भारत में अध्यात्म का अर्थ मंदिर, हवन और चोटी रखने जैसे कर्मकांड मात्र से नहीं लेना चाहिए। स्वामी विवेकानंद एवं अरविंद जैसे मनीषियों ने कहा है कि विश्व में भारत की भूमिका विशुद्ध अध्यात्म की होगी, लेकिन देश के नागरिक को विकास चाहिए। मोदी-आदित्यनाथ की जोड़ी के सामने चुनौती अध्यात्म के साथ-साथ आर्थिक विकास को बढ़ाने की है। अकसर अध्यात्म का अर्थ त्याग से जोड़ा जाता है, परंतु राम और कृष्ण ने त्याग का नहीं, बल्कि कर्म यानी विकास का रास्ता अपनाया था। उनका मूल मंत्र था कि अपने अतःकरण के अनुरूप कर्म करो। जैसे अर्जुन क्षत्रिय थे। उनके अतःकरण में लोक कल्याण की वासना थी। अतः कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि लोक कल्याण के लिए युद्ध करो। लोक कल्याण के लिए राज्य का भोग करो। ऐसा करने से समाज का भौतिक विकास और अर्जुन का अध्यात्मिक विकास दोनों हासिल हुआ। मोदी-आदित्यनाथ की जोड़ी के समक्ष चुनौती है कि जनता की विकास की चाह को इसी प्रकार की सही दिशा दें।

इस दिशा में गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी के अंतर्गत माल के वर्गीकरण पर ध्यान देने की जरूरत है। जीएसटी के दो पहलू हैं। एक पहलू है कि सभी राज्यों द्वारा जीएसटी एक ही दर से लागू की जाए, जिससे राज्यों के बीच व्यापार सुगम हो जाए। जीएसटी का यह स्पष्ट सार्थक पक्ष है। जीएसटी का दूसरा पहलू माल के वर्गीकरण का है। जीएसटी में 5, 12, 18 एवं 40 की चार दरें प्रस्तावित हैं। जीएसटी काउंसिल को तय करना है कि कौन सा माल किस दर में रखा जाएगा। जिस माल पर टैक्स की दर ऊंची होगी उसका बाजार में दाम ऊंचा होगा और उसकी खपत कम होगी। सरकार को चाहिए कि बाजार में उपलब्ध माल को ‘जरूरी’, ‘सामान्य’ एवं ‘विलासिता’ में वर्गीकृत करे। जैसे साइकिल ‘जरूरी’ हुई, स्कूटर ‘सामान्य’ हुआ एवं लक्जरी कार ‘विलासिता’ का माल हुई। अथवा खजूर तथा च्यवनप्राश ‘जरूरी’’ हुआ, डबलरोटी ‘सामान्य’ हुई एवं चाकलेट ‘विलासिता’ की वस्तु हुई। सरकार को चाहिए कि जरूरी माल पर पांच प्रतिशत, सामान्य माल पर 18 प्रतिशत एवं विलासिता के माल पर 40 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूल करे। ऐसा करने से उपभोक्ता को प्रेरणा मिलेगी कि वह स्वास्थवर्द्धक खजूर की खपत अधिक करे एवं हानिप्रद चाकलेट का कम। वह उन खाद्य पदार्थों की खपत कम करेगा, जिनकी मांग अनायास ही विज्ञापन द्वारा उत्पन्न की जाती है। उसकी खपत में अंतर्मन से दूर का भटकाव कम होगा।

अध्यात्म की दृष्टि से दूसरी विचारणीय नीति आयकर की है। आज कि समय में पूरा संसार एक बाजार बन गया है। बिल गेट्स जैसा व्यक्ति पूरे संसार में विंडोज सॉफ्टवेयर बेच कर लाभ कमा रहे हैं। दूसरी तरफ पूरे संसार के श्रमिक एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा मे लगे हुए हैं। अमरीका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा है कि भारत के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमरीकी नागरिकों के रोजगार छीन रहे हैं। इसी प्रकार इंग्लैंड ने यूरोपियन यूनियन से बाहर आने का निर्णय किया है। वहां पोलैंड के श्रमिक प्रवेश करके इंग्लैंड के श्रमिकों से प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। पहले केवल देश के अपने श्रमिक आपस में प्रतिस्पर्धा करते थे। अब पूरे विश्व के श्रमिक आपसी प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं। इसलिए संपूर्ण विश्व में श्रमिकों के वेतन दबाव में हैं। एक तरफ वैश्विक उद्यमियों की आय बढ़ रही है, जबकि दूसरी तरफ श्रमिकों की आय घट रही है। यह असंतुलन सामाजिक अस्थिरता पैदा करेगा। इस समस्या को न्यून करने के लिए अमीरों को अर्जित आय के अधिकाधिक हिस्से का दान करने को प्रेरित करना चाहिए। तब अमीर की आय घटेगी और आम आदमी की बढ़ेगी। वर्तमान में हमारे आयकर कानून की धारा-80जी के अंतर्गत चिन्हित संगठनों को दिए गए दान पर आयकर में छूट मिलती है। यह व्यवस्था सही दिशा में है। इसे सामाजिक मान्यता देना चाहिए। सरकार को चाहिए कि भामाशाह जैसे दानवीरों को पद्मभूषण एवं भारत रत्न से अलंकृत करे। अर्जुन पुरस्कार के समान हर राज्य में अधिकाधिक दान देने वालों को ‘दानवीर’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाए। ऐसा करने से अमीरों में दान देने का सम्मान बनेगा। उनका पूंजी से लगाव कम होगा। वे अध्यात्म की दिशा में बढं़ेगे। समाज भी स्थिर होगा।

तीसरी नीति शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित है। आज विश्व के चार प्रमुख धर्म ईसाई, इस्लाम, हिंदू एवं बौद्ध हैं। चारों धर्मों के मूल में सांसारिक वस्तुओं से लगाव को हतोत्साहित किया गया है। ईसाई धर्म कहता है कि अमीर की तुलना में गरीब के लिए ईश्वर प्राप्ति ज्यादा सुलभ है। ईसाइयों को प्रेरित किया जाता है कि गरीब के प्रति सौहार्द रखें। तमाम ईसाई देशों द्वारा गरीब देशों को आर्थिक मदद दी जा रही है। अपने देश में ईसाई धर्म को मानने वाली सोनिया गांधी ने मनेरगा जैसे जनकल्याणकारी कार्यक्रम चलाए हैं। इस्लाम धर्म कहता है कि अल्लाह की सत्ता सच्ची है। संसार में अल्लाह के निर्देशानुसार व्यवहार करना चाहिए, न कि विज्ञापन द्वारा सुझाई गई दिशा में। हिंदू धर्म कहता है कि अंतर्मन की आवाज सुनो। योग और ध्यान के माध्यम से अपनी अंदरूनी वृत्ति को पहचानो और मन को सांसारिक खिंचावों से हटाकर अंतर्मन की ओर ले जाओ। बौद्ध धर्म मध्यम मार्ग को बढ़ावा देता है। विज्ञापन में बहने के स्थान पर उससे जनित इच्छाओं पर नियंत्रण करने को कहता है। हर धर्म का प्रयास है कि व्यक्ति सांसारिक आकर्षणों द्वारा विपरीत दिशा में खिंचा न चला जाए। जरूरी है कि धर्मों के इस पक्ष को देश के सभी विद्यालयों में अनिवार्यतः पढ़ाया जाए। ग्रेजुएट परीक्षा में भी इस विषय को शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से आने वाली पीढ़ी में अनावश्यक एवं उत्तरोत्तर भोग के प्रति प्रश्न चिन्ह लगेगा। लोग अंतर्मन यानी अध्यात्म की ओर मुड़ेंगे।

चौथी नीति विज्ञापन पर अंकुश लगाने की है। वर्तमान में सिगरेट एवं शराब के विज्ञापन देने पर प्रतिबंध है। माना जाता है कि ये वस्तुएं उपभोक्ता के लिए हानिप्रद हैं। सिगरेट के पैकेट पर लिखा रहता है, ‘सिगरेट पीने से स्वास्थ्य की हानि होती है।’ इस सिद्धांत का विस्तार करने की जरूरत है। आज तमाम लोग विज्ञापन से प्रेरित होकर स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद वस्तुओं का सेवन करते हैं जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स एवं चाकलेट। इसी प्रकार लग्जरी कार एवं फ्लैट स्क्रीन टेलीविजन जैसी अनावश्यक वस्तुओं की खपत की जाती है। सरकार को चाहिए कि सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे खाद्य पदार्थों पर भी चेतावनी छापना अनिवार्य बना दे कि ‘सॉफ्ट डिं्रक्स के सेवन से स्वास्थ्य की हानि होती है।’ लग्जरी कार के विज्ञापन, शोरूम एवं रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर लिखवाया जाए कि ‘लग्जरी कार के उपयोग से व्यक्ति अपने अंतर्मन के विपरीत जा सकता है।’ ऐसा करने से लोगों का ध्यान अपने अंतर्मन की सच्ची इच्छाओं की पूर्ति करने की ओर मुड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर अध्यात्म के प्रति जो निष्ठा दिखाई है, उसे आर्थिक नीतियों में उतारने से भारत संपूर्ण विश्व को अध्यात्म और आर्थिक विकास के समन्वय का रास्ता दिखा सकेगा।

ई-मेल : bharatjj@gmail.com


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