पठानकोट हमले से सबक नहीं

By: Mar 27th, 2017 12:03 am

newsनई दिल्ली —  देश में बार-बार हो रहे आतंकी हमलों पर संसद की एक समिति ने मोदी सरकार को फटकार लगाई है। समिति ने देश में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार ने पठानकोट आतंकवादी हमले से कोई सबक नहीं सीखा, जिससे पिछले वर्ष बार-बार इस तरह के हमले हुए, जिनमें सशस्त्र बलों के जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। गृह मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि वह मंत्रालय की इस बात से सहमत नहीं है कि देश में आंतरिक व्यवस्था की स्थिति कुल मिलाकर नियंत्रण में है। समिति ने कहा है कि भीतरी इलाकों में आतंकवाद और वाम उग्रवाद में भले ही अपेक्षाकृत कमी आई है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ की घटनाओं में पहले की तुलना में कहीं अधिक वृद्धि हुई है। समिति ने कहा कि इससे आतंकवादियों की सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की नई रणनीति का पता चलता है। अपनी सिफारिशों और टिप्पणी को दोहराते हुए समिति ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बावजूद सरकार पंपोर, उड़ी, बारामूला और नगरोटा में आतंकवादी हमलों की पुनरावृत्ति रोकने में पूरी तरह विफल रही है। समिति का मानना है कि सरकार ने पठानकोट हमले से कोई सबक नहीं सीखा। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि गृह मंत्रालय को सीमा पार घुसपैठ और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सेनाओं और सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठानों की सुरक्षा व्यवस्था बेहद चाक चौबंद की जानी चाहिए, जिससे कि इस तरह के आतंकवादी हमलों पर लगाम लगाई जा सके। समिति ने कहा है कि सभी खामियों और कमजोरियों को दूर कर सुरक्षा नेटवर्क को एकदम पुख्ता किए जाने की तत्काल जरूरत है। उसने खुफिया तंत्र को प्रभावशाली बनाने और उसके जानकारी एकत्र करने तथा साझा करने की प्रणाली को दुरुस्त करने पर भी जोर दिया है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा स्थानीय युवाओं की भर्ती की रणनीति पर चिंता व्यक्त करते हुए समिति ने गृह मंत्रालय से इस पर रोक लगाने के लिए बहुस्तरीय योजना बनाने को कहा। राज्य में कानून व्यवस्था में गड़बड़ी विशेष रूप से पत्थरबाजी तथा पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों से हथियार छीनने की बढ़ती घटनाओं का संज्ञान लेते हुए समिति ने कहा कि पत्थरबाजी और सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर फिदायीन हमलों की बढ़ती घटनाओं के बीच कपटपूर्ण तथा जटिल संबंध है। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि मंत्रालय को इस गठजोड़ को तोड़ने तथा युवाओं को आतंकवादियों के बहकावे में आने से रोकने के लिए बहुस्तरीय रणनीति बनानी चाहिए। मंत्रालय को आतंकवादी गुटों की फंडिंग तथा हथियारों की आपूर्ति रोकने के साथ-साथ आतंकवाद रोधी अभियान चलाकर उनकी पहचान कर उन्हें दबोचने के लिए भी कहा। पिछले वर्ष जुलाई से लेकर इस वर्ष जनवरी तक राज्य में कानून व्यवस्था से जुड़ी 2392 घटनाएं हुई, जिनमें 73 असैनिक मारे गए और सुरक्षा बलों के दो जवान शहीद हुए। संसदीय समिति ने जम्मू- कश्मीर के लिए घोषित 80000 करोड़ रुपए के प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं के काम की धीमी गति पर भी नाराजगी जताई। उसने मंत्रालय से इन योजनाओं को आगामी वित्त वर्ष में पूरा करने के लिए सभी कदम उठाने को कहा।

पिछले साल बुरे हाल

सरकार ने समिति को बताया कि वर्ष, 2016 में घुसपैठ की कोशिश की 364 घटनाएं हुईं, जबकि इससे पिछले वर्ष यह आंकड़ा केवल 121 था। समिति ने इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया कि सेना और सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में कमजोरियों और खामियों के चलते इन पर कई बार आतंकवादी हमले हुए, जिनमें 82 जवान शहीद हुए।


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