फीमेल मेडिकल और टीबी वार्ड एक साथ

By: Mar 3rd, 2017 12:07 am

newsनाहन – प्रदेश सरकार ने जोनल अस्पताल नाहन मैं मेडिकल कालेज तो खोल दिया है, लेकिन कालेज के हाल नाम बड़े और दर्शन छोटे हो गए हैं। आलम यह है कि मेडिकल कालेज प्रशासन ने फीमेल मेडिकल व तपेदिक वार्ड एक साथ बनाए हैं, जबकि नियमानुसार पल्मोनरी वार्ड अन्य वार्डों से अलग होता है। यही नहीं स्वास्थ्य संस्थानों मैं न केवल पल्मोनरी वार्ड अलग बनाया जाता है, बल्कि क्षय रोगियों के लिए शौचालय व स्नानगृह भी अलग होता है ताकि अस्पताल मैं उपचाराधीन अन्य रोगियों को किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन न फैले। गौर हो कि जिला मुख्यालय नाहन मैं करीब चार दशक से तपेदिक वार्ड अस्पताल से करीब एक किलोमीटर दूर अलग भवन मैं चल रहा था, लेकिन मेडिकल कालेज प्रशासन ने अब उस भवन से तपेदिक के रोगियों को मुख्य अस्पताल के फीमेल वार्ड के साथ एक कमरे में शिफ्ट कर दिया है। यही नहीं मजेदार बात तो यह है कि जिस कमरे मैं डा. वाईएस परमार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल प्रशासन द्वारा टीबी वार्ड बनाया गया है उसकी खिड़कियांे मैं न केवल शीशे हैं बल्कि फर्श पर पानी का तालाब बना है। यानी टीबी वार्ड मेडिकल कालेज प्रशासन द्वारा पूरी तरह हवा महल बनाया गया है। हैरत की बात तो यह है कि जिस मंजिल मैं टीबी वार्ड बनाया गया है उसी मंजिल मैं फीमेल मेडिकल भी चल रहा है। मेडिकल कालेज के सूत्रों के मुताबिक टीबी वार्ड को शिफ्ट करने का मुख्य कारण भवन की दुर्दशा नहीं बल्कि मेडिकल कालेज के चिकित्सकों को करीब एक किलोमीटर दूर जहां राउंड पर जाना पड़ता था, वहीं अन्य स्टॉफ को भी मुख्य अस्पताल से एक किलोमीटर दूर आने-जाने में परेशानी हो रही थी। नतीजतन मेडिकल कालेज ने जुगाड़बाजी कर यह कहकर टीबी रोगियों को मुख्य अस्पताल मैं शिफ्ट कर दिया कि भवन खस्ताहाल अवस्था मैं है, जिसके चलते टीबी रोगियों को फीमेल मेडिकल के साथ अलग कमरे मैं शिफ्ट किया गया है। मजेदार बात तो यह है कि अगर भवन खस्ताहाल है तो उस भवन में 108 कर्मियांे व होमगार्ड के जवानों को क्यों रखा गया है। अब सवाल यह उठता है कि यदि टीबी वार्ड का पुराना भवन खस्ताहाल है तो उस भवन मैं 108 कर्मियों व होमगार्ड के जवानांे को क्यों शिफ्ट किया गया है। यदि भवन की मरम्मत का कार्य करना है तो उस खस्ताहाल भवन को पूरी तरह खाली करवा देना चाहिए।

मुख्य अस्पताल से दूर होता है पल्मोनरी वार्ड

आईजीएमसी शिमला व पीजीआई चंडीगढ़ के पल्मोनरी विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि टीबी के रोगियों के लिए अलग से वार्ड बनाया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक क्षय रोगियों के लिए न केवल अलग से वार्ड बनाया जाता है बल्कि उनके लिए शौचालय व स्नानगृह भी अलग होता है, ताकि अस्पताल मैं उपचाराधीन अन्य रोगियों को किसी भी प्रकार का इंफेक्शन न फैले। चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि तपेदिक एक संक्रमित रोग है जो सांस अथवा हवा के द्वारा अन्य रोगियों मैं फैल सकता है।

क्या कहता है मेडिकल कालेज प्रशासन

डा. वाईएस परमार मेडिकल कालेज एंड अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. केके पराशर ने बताया कि टीबी वार्ड का भवन खस्ताहाल है जिसकी मरम्मत होनी है। उन्होंने कहा कि मरम्मत होने के चलते टीबी के रोगियों को मुख्य अस्पताल में फीमेल मेडिकल के साथ अलग से वार्ड बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अस्पताल मैं उन्हीं रोगियों को एडमिट किया जाता है जिनकी क्षय रोग की दवाइयां हो गई हों। जब टीबी की दवाई शुरू हो जाती है तो इंफेक्शन नहीं फैलता। जैसे ही पुराने भवन की मरम्मत का कार्य पूरा हो जाएगा तो टीबी के रोगियों को वापस उसी भवन में शिफ्ट किया जाएगा।


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