बेरोजगारी दूर करेंगे गांधीवादी मॉडल

By: Mar 5th, 2017 12:04 am

नई दिल्ली— राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में औद्योगिक वृद्धि होने के बावजूद रोजगार न बढ़ने की समस्या का समाधान करने के लिए गांधीवादी विकेंद्रीकृत और विविधीकृत नवप्रवर्तन पर आधारित उपक्रमों का मॉडल संभवतः अधिक अच्छा रास्ता है। राष्ट्रपति ने जमीनी स्तर से जुड़े नवप्रवर्तन के लिए राजधानी में आयोजित एक पुरस्कार वितरण समारोह में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर बनी हुई है। यहां तक कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी औद्योगिक वृद्धि अधिकाधिक रोजगारविहीन वृद्धि बनती जा रही है। राष्ट्रपति ने नौवें द्विवार्षिक ग्रासरूट इन्नोवेशन अवार्ड समारोह में कहा कि ऐसे परिदृश्य में विकेंद्रित, विविधीकृत और विविध नवप्रवर्तन आधारित उद्यम संभवतः समस्या के इस समाधान का बेहतर तरीका है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी हमेशा चाहते थे कि आधुनिक विग्यान और प्रौद्योगिकी का सामुदायिक ग्यान एवं सामुदायिक संस्थाओं के साथ तालमेल बिठाया जाए। मौजूदा परिदृश्य में उनका यह संदेश अत्यंत प्रासंगिक हो गया है। मुखर्जी ने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन फाउंडेशन ने अधारणा एवं नीतियों के संदर्भ में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि वह बच्चों, स्कूल और कालेज छात्रों की सृजशीलता और जमीन से जुड़े नवप्रवर्तकों का गवाह बने हैं। हालांकि एक समावेश नवप्रवर्तन का माहौल जो भारत के लिए उपयुक्त हो, उसके लिए सरकार और समाज ने जो कदम उठाए हैं, उससे कहीं अधिक पहल करने की आवश्यकता है।


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