राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल, ज्वालामुखी

By: Mar 15th, 2017 12:07 am

सरोज कुमारी मुख्य अध्यापिका

राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल, ज्वालामुखीराजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल, ज्वालामुखीपहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की शैक्षणिक में राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल ने स्वर्णिम अध्याय लिख दिया है। बंडोल स्कूल को मॉडल बनाकर पूरे प्रदेश में शुरू करने से फिर से सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्वक प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ने वाली शिक्षा की शुरुआत हो सकती है। बंडोल स्कूल की प्राइवेट स्कूलों से भी कहीं आगे का शैक्षणिक स्तर और व्यवस्था ने हिमाचल प्रदेश में बड़ा उदाहरण पेश किया है। इसमें स्कूल के सभी स्टाफ, एसएमसी मेंबर और जेबीटी अध्यापक सुनील धीमान ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इतिहास

राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल सन् 1983 में अस्तित्व में आई। पाठशाला गांव हिरन, डाकघर कोहाला, तहसील ज्वालामुखी, जिला कांगड़ा में स्थित है। स्कूल देवभूमि हिमाचल के प्रसिद्ध शक्ति पीठ माता ज्वालामुखी मंदिर से सात किलोमीटर दूर राष्ट्रीय उच्च मार्ग-88 के किनारे स्थित है। पाठशाला के उत्तर-पूर्व में कालीधार रिजर्व वन है और दूसरी तरफ दक्षिण-पूर्व में पाठशाला से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर अपनी स्वच्छ धारा बिखेरती व्यास नदी बहती है। स्कूल को सन् 2006 में माध्यमिक पाठशाला स्तरोन्नत हुई। तदोपरांत सन् 2015 में इसे उच्च पाठशाला का दर्जा प्राप्त हुआ।

स्कूल में छात्र और स्टाफ

स्कूल में शिक्षा सत्र 2016-17 में 62 बच्चे प्रथम कक्षा से पांचवी कक्षा तक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। गत दो वर्षों से पाठशाला में नर्सरी की कक्षाएं भी चलाई जा रही हैं। नर्सरी कक्षा में 12 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूल के स्टाफ में सरोज कुमारी मुख्याध्यापिका, सुनील कुमार जेबीटी, राम स्वरूप प्राथमिक सहायक अध्यापक, कन्या देवी अंशकालीन जलवाहक, परमजीत मिड-डे-मील वर्कर, सुभद्रा देवी मिड-डे-मील वर्कर, उजाला रानी नर्सरी कक्षा अध्यापिका स्वैच्छिक एवं निशुल्क सेवा प्रदान की जा रही है।

स्कूल की गतिविधियां

स्कूल में नर्सरी कक्षा से पाचवीं कक्षा के बच्चों को तीन सदनों में मैरी गोल्ड, गुलमोहर, एवं लोटस सदन में बांटा गया है। प्रत्येक सदन का अपना ड्रेस कोड है। प्रातः कालीन सभा का प्रबंधन एवं आयोजन प्रत्येक सदन द्वारा एक सप्ताह के लिए किया जाता है। संबंधित सदन सप्ताह भर के लिए स्कूल की सफाई एवं रख-रखाव का प्रबंधन करता हैं।

स्कूल में स्मार्ट क्लास रूम

पाठशाला में अप्रैल सत्र 2016-17 में स्मार्ट क्लास रूम की व्यवस्था की गई है। विभिन्न कक्षाओं की विषय-वस्तु से संबंधित पहलुओं को वीडियो इंटरनेट से जोड़कर बहुत ही सरल ढंग से समझाया जाता है। बच्चों में परम्परागत रटन्त या याद करना प्रणाली से हटकर विषय वस्तु को समझने व सीखने की कला विकसित हुई है। स्मार्ट क्लास रूम में नर्सरी से पाचवीं कक्षा तक के सभी विषयों से संबंधित शिक्षण सामग्री उपलब्ध है। इस स्मार्ट क्लास रूम को इंटरनेट से भी जोड़ा गया है। अभिभावक या अन्य अधिकारी बच्चों से दुनिया के किसी भी कोने से ऑनलाइन संवाद कर सकते हैं।

गतिविधि आधारित शिक्षा

स्कूल में शिक्षण कार्य को रोचक बनाने एवं विषय-वस्तु की समझ बढ़ाने के लिए गतिविधि आधारित शिक्षा दी जाती है। बच्चों को पर्यावरण की जानकारी आस पड़ोस में मौजूद चीजों के साथ समायोजन करके गतिविधियों द्वारा करवाई जाती है। स्कूल को बैग रहित बनाया गया है। सरकार द्वारा समय-समय पर छोटे-छोटे बच्चों के लिए स्कूल बैग के बोझ को कम करने पर सुझाव/आदेश दिए जा रहे हैं।

उपलब्धियां

स्कूल में पढ़ रहे बच्चों ने प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शानदार प्रदर्शन किया है। स्कूल से स्तरोन्नत हुए बच्चे राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिवर्ष मैरिट में आते हैं, और अपने माता पिता एवं स्कूल का नाम रोशन करते हैं। शिक्षा सत्र 2015-16 में पांच बच्चे और 2016-17 की परीक्षा में पांच बच्चे मैरिट में आए और छात्रवृति हासिल करने में सफल रहे। यह छात्रवृति बच्चों को जमा दो कक्षा की पढ़ाई तक मिलती रहती है।

भविष्य की योजनाएं

मुख्याध्यापिका सरोज कुमारी का कहना है कि प्रबंधन समिति व अध्यापक वर्ग सदैव पाठशाला एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित है। गत वर्ष की प्रस्तावित योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वन किया गया है। अध्यापकों और समुदाय के सहयोग से प्रस्तावित एवं क्रियान्वित किए गए कार्यों से स्कूल एवं बच्चों दोनों का स्तर ऊंचा उठा है। आगामी सत्र में कम्प्यूटरों का प्रबंध, बच्चों के लिए खिलौने, स्लाईडर, झूला आदि लगवाना प्रस्तावित है। खेल सबंधी सामान भी उपलब्ध करवाया जाएगा।

-नरेन कुमार, धर्मशाला


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