विकास ही टेढ़ी चुनौती !

By: Mar 21st, 2017 12:05 am

प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने एकमात्र मूलमंत्र विकास को माना है। युवाओं को काम देने की भरसक कोशिशों की शुरुआत होगी। उनके सपने साकार किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश की कसौटी पर योगी सरकार एकदम खरी साबित होने लगेगी, यह संभव नहीं है। सिर्फ एक ही उदाहरण पर्याप्त है। अखिलेश सरकार के दौरान सचिवालय में चपरासी के पद के लिए नौकरियां निकली थीं। करीब 23 लाख युवाओं ने चपरासी बनने के लिए आवेदन किया था। उनमें पीएचडी, इंजीनियर, स्नातकोत्तर और दूसरी पढ़ाई करने वाले युवाओं ने भी आवेदन किया था। यह उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की पराकाष्ठा है। करीब दो करोड़ बेरोजगार सरकार में पंजीकृत हैं। उत्तर प्रदेश आज भी ‘बीमारू’ राज्य है। वहां बेइंतहा पिछड़ापन और गरीबी है। बीपीएल की संख्या बहुत है। उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय देश में 19वें स्थान पर है, जबकि बिजनेस रैंकिंग 14वीं है। देश की करीब 16.5 फीसदी आबादी उत्तर प्रदेश में बसी है, लेकिन मानव विकास सूचकांक में कोई महत्त्वपूर्ण बदलाव नहीं है। उत्तर प्रदेश में न तो बुनियादी ढांचा है, न पर्याप्त बिजली-पानी-सड़कें हैं और न ही उद्योग-धंधे, फैक्टरियां हैं। यह विरासत योगी सरकार को मिली है, तो रोजगार कहां से पैदा होगा? सरकारी नौकरियों की अपनी सीमा है। निजी रोजगार, नौकरी या काम तभी संभव है, जब उपरोक्त स्थितियों में सुधार होगा। हम नई-नवेली योगी सरकार पर अभी से ही सवाल नहीं दाग रहे हैं, बल्कि यथार्थ के जरिए उन चुनौतियों का उल्लेख कर रहे हैं, जो विकास के एजेंडे के सामने आने वाली हैं। उत्तर प्रदेश के नागरिकों के लिए ‘रोटी’ भी जरूरी है, तो राम मंदिर भी…! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि विकास के लिए राम मंदिर भी अनिवार्य है। इसकी व्याख्या क्या होनी चाहिए, हम उन्हीं से अपेक्षा करेंगे। बहरहाल योगी कैबिनेट की पहली बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि सरकारी नौकरियों में भर्ती करेंगे। सरकारी भर्तियों को पारदर्शी बनाएंगे और खेती को उत्तर प्रदेश के विकास का आधार बनाएंगे। हालांकि पहली कैबिनेट में ही किसानों के कर्ज माफ करने का निर्णय नहीं लिया जा सका। यह मामला करीब 85-90 हजार करोड़ रुपए का है। कर्जमाफी का आखिरी फैसला भी केंद्र सरकार को करना है, क्योंकि बैंक उसी के अधीन कार्यरत हैं। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान रैली-दर-रैली जनता को यही भरोसा दिलाने की भरपूर कोशिश की थी कि वह कैबिनेट की पहली बैठक में ही कर्जमाफी पर फैसला कराएंगे। बहरहाल नई सरकार के शपथ लेते ही हम किसानों की कर्जमाफी को मुद्दा नहीं बनाएंगे। चार बीघा जमीन तक वाले किसानों के कर्ज माफ किए जाने हैं। सरकार विमर्श करे और यथाशीघ्र इस पर निर्णय ले। फिलहाल बुनियादी मुद्दा विकास का है, तो नए मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि बिना भेदभाव के विकास किया जाएगा। बीते 15 सालों में उत्तर प्रदेश बेहद बदहाल हुआ है, लिहाजा उसकी खुशहाली लौटाने में कुछ वक्त जरूर लगेगा, लेकिन यह इस सरकार का संकल्प है। मुख्यमंत्री ने भाजपा के ‘आदर्श पुरुष’ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘अंत्योदय’ कार्यक्रम का सपना भी साकार करने का संकल्प जताया है। उत्तर प्रदेश में विकास की राहें बेहद पथरीली हैं। जो स्थितियां हमने गिनाई हैं, उनके मद्देनजर ‘सबका साथ, सबका विकास’ ही योगी सरकार के लिए सबसे टेढ़ी, असंभव-सी, चुनौती है। हमें आने वाले दिनों का इंतजार करना चाहिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App