शिक्षा का महत्त्व

By: Mar 26th, 2017 12:05 am

मीना और राजू की स्कूल की छुट्टियां चल रही हैं।  दोनों आराम से आंगन में बैठ कर कहानी की किताब पढ़ रहे थे तभी दीपू दौड़ता हुआ आता है, मीना शहर से कुछ लोग आए हैं, फिल्म की शूटिंग करने। मीना और राजू खुशी से उछल पड़ते हैं। मीना, राजू और दीपू भाग के बड़े मैदान में पहुंचे। वहां उन्हें मिले सरपंच जी। सरपंच जी उनकी बात सुनके बोले, बच्चो! ये लोग फिल्म वाले नहीं हैं, यह एक गैर सरकारी संस्था के लोग हैं, जो हमारे गांव में एक फिल्म बनाएंगे ‘शिक्षा के महत्त्व’ पर और उसी फिल्म के लिए ये लोग हमारे गांव के कुछ बच्चों से बातचीत करेंगे और उसे कैमरे में कैद करेंगे।  सरपंच जी, ये लोग बच्चों से क्या बातचीत करेंगे। सरपंच जी जवाब देते हैं, दीपू बेटा ये लोग उन बच्चों के लिए प्रोग्राम बना रहे हैं जो या तो कभी स्कूल गए ही नहीं या  वे बच्चे जिन्होंने किसी कारणवश स्कूल जाना छोड़ दिया। मीना सरपंच जी, क्या मैं राजू और दीपू इसमें हिस्सा ले सकते हैं। सरपंच जी-हां-हां मीना बेटी, आओ तुम्हें कार्यकर्ताओं से मिलवाता हूं। सरपंच जी ने राजू,मीना और दीपू को कार्यकर्ता दिव्या जी से मिलवाया। दिव्या जी ने उन तीनों को बताया कि कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए कल उन्हें कैमरे के सामने खड़े होकर कुछ लाइनें बोलनी होंगी। दिव्या जी- बच्चो तुम सब कैमरे के सामने ये बताना कि तुम्हें स्कूल जाना अच्छा क्यों लगता है या फिर स्कूल जाकर तुम क्या-क्या सीखते हो।  स्कूल से संबंधित कोई भी बात। रोलिंग  एक्शन मीना-मेरा नाम मीना है। मुझे स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता है। मैं रोज स्कूल जाती हूं डायरेक्टर साहब की आवाज गूंजती है,  दीपू, अब तुम्हारी बारी। मुझे स्कूल जाने में बहुत मजा आता है। मैं और मेरे सभी दोस्त स्कूल में पढ़ाई करते हैं, खेलते हैं एक साथ मिलकर  खाना खाते हैं। स्कूल से अच्छी जगह कोई हो ही नहीं सकती। अब प्रीती की बारी, प्रीती- वे बच्चे सच में किस्मत वाले होते हैं जो स्कूल जाते हैं क्योंकि स्कूल जाकर ही उन्हें पढ़ना-लिखना, जिंदगी में आगे बढ़ने का मौका मिलता है और जो बच्चे स्कूल नहीं जाते वे जिंदगी के दौर में पीछे रह जाते हैं। बहुत पीछे। इसलिए हर एक बच्चे को स्कूल जाना चाहिए, धन्यवाद। कट कैमरे में कुछ तकनीकी खराबी आ जाने के कारण प्रीती की इंटरव्यू लाइनें ठीक से रिकार्ड नहीं हो पाती हैं, तो दिव्या जी उसे कल दोबारा आकर ये लाइनें बोलने का आग्रह करती हैं। प्रीती वहां से थोड़ी दूर ही गई थी कि मीना ने उसे आवाज देकर रोका। मीना- मैंने आपको पहले कभी यहां नहीं देखा। प्रीती- मैं साथ वाले गांव में रहती हूं । मेरे पिताजी मजदूर हैं। काम के सिलसिले में उन्हें एक गांव से दूसरे गांव या शहर जाना पड़ता है। मीना- ओह! इसका मतलब आप लोग कुछ दिनों बाद कहीं और चले जाएंगे। प्रीती-नहीं, क्योंकि पिताजी को इस बार गांव में ही एक अच्छा सा काम मिल गया है। मीना, चाहती तो मैं भी हूं कि मैं। तभी, प्रीती वापस आ जाओ कैमरा ठीक हो गया है। प्रीती, तुम ऐसे अटक-अटक कर क्यों पढ़ रही हो। प्रीती नहीं, मैं जा रही हूं मुझसे नहीं हो पाएगा। प्रीती वापस जाने लगती है।  मीना उसे वापस लाने उसके पीछे भागती है। प्रीती बताती है, मीना मुझे ठीक से पढ़ना नहीं आता। मैंने तुम्हें बताया था न मेरे पिताजी को काम के सिलसिले में गांव-गांव, शहर-शहर जाना पड़ता था। बस उसी वजह से मैं नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाई। एक-दो जगह मैंने स्कूल मैं दाखिला लिया भी था, लेकिन कुछ दिनों बाद वे स्कूल मुझे छोड़ने पड़े। पिताजी को काम करने दूसरे गांव जो जाना था।  मीना-प्रीती दीदी, आप मेरे स्कूल में दाखिला ले सकती हैं। प्रीती-नहीं मीना, अब बहुत देर हो चुकी है। मैं सिर्फ  दूसरी कक्षा तक ही स्कूल गई थी।  तब मैं सिर्फ  सात साल की थी और सब मैं चौदह साल की हूं। अब स्कूल जाकर तीसरी कक्षा के छोट-छोटे बच्चों के साथ बैठ पढूंगी, तो मुझे शर्म आएगी। मीना प्रीती को बताती है कि बहन जी कहती हैं कि वे  बच्चे जिन्हें किसी कारणवश स्कूल छोड़ना पड़ता है, जो स्कूल नहीं जा पाते उन्हें पढ़ाने के लिए आयु के अनुसार विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध है।  मीना की बहनजी पीछे से वहां आ जाती हैं, जिन्होंने उन दोनों की सारी बातें सुन ली हैं।  बहनजी समझाती हैं, आजकल बहुत से स्कूलों में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध है। और तुम्हें इसका लाभ जरूर उठाना चाहिए। इन कार्यक्रमों में सबसे पहले तुम्हारे जैसे बच्चों को दाखिल किया जाता है। फिर उन बच्चों को विशेष तरीके से पढ़ाया लिखाया जाता है ताकि वे जल्दी से सब कुछ सीखकर अपनी उम्र के अनुसार उसी क्लास में पढ़ सकें।  इस तरह से तुम अपनी उम्र के बच्चों के साथ घुलमिल भी जाओगी और जल्द ही उनके साथ कक्षा में पढ़ भी सकोगी। मिठ्ठू चहका शाबाश! पढ़ लिख कर फैलाओ शिक्षा का प्रकाश।  तभी आवाज आई प्रीति आ जाओ। प्रीति को हौसला आने पर उसने अपनी लाइनें अच्छे से बोलीं।

 


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